समय पर रोपाई कर प्याज की अधिक पैदावार लें

प्याज भी आलू की तरह लंबे समय तक रखे जाने वाली महत्वपूर्ण नकदी सब्जी फसल है। प्याज की मुख्य फसल रबी के मौसम में उगाई जाती है। खंड कृषि अधिकारी डा.महावीर सिंह मलिक के अनुसार, किसान चाहे तो वैज्ञानिक तकनीक से अधिक पैदावार की सलाह ले सकते हैं।

प्याज की उन्नत किस्में व बोने का समय: : हिसार-2, पूसा रोड, पूसा सफेद चपटी व पूसा व्हाइट राउंड अच्छी पैदावार देने वाली किस्में हैं। हिसार-2 किस्म के कंद लाल व भंडारण क्षमता अधिक है। प्याज की पौध रोपाई का उत्तम समय मध्य जनवरी तक है। उसके बाद पूरी जनवरी माह में भी रोपाई की जा सकती है।

बीज मात्रा व रोपाई : चार से पांच कि.ग्रा. बीज से तैयार की गई पौध एकड़ में रोपाई के लिए पर्याप्त रहती है। छह से आठ हफ्ते वाली पौध लें और रोपाई लाइनों में 15 सेमी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 8-10 सेमी. रखते हुए करनी होगी।

खाद व उर्वरक तथा सिंचाई : प्याज में गोबर की खाद खेत की तैयारी के समय डालनी चाहिए। रोपाई से पहले प्रति एकड़ 50 कि.ग्रा. यूरिया, 125 कि.ग्रा. सिंगिल सुपर फास्फेट तथा 16 कि.ग्रा. म्यूरेट आफ पोटाश खेत में डालना चाहिए। नाइट्रोजन की मात्रा आधा-आधा कट्टा यूरिया 30 दिन के अंतर पर दो बार डालें। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें। पहले दो महीने तक सिंचाई का अंतर अधिक रखना चाहिए। गांठे बनते समय सिंचाई जल्दी करें। खुदाई से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें।

खरपतवार नियंत्रण व फसल सुरक्षा : निराई गुड़ाई करके खरपतवारों की रोकथाम करनी चाहिए। ज्यादा खरपतवार होने पर 1200 मि.ली. स्टोमप 30 ईसी का छिड़काव रोपाई के 8-10 दिनों बाद 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ करें। थ्रिप नामक कीट की रोकथाम के लिए 60 मि.ली. सापरमेथ्रिन 25 ईसी तथा 300 मि.ली. मैलाथियान 50 ईसील दवाओं का 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव एक सप्ताह के अंतर पर करते रहें। पर्पल बलोच बीमारी होने पर 400 ग्राम डाईइथेन एम-45 को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।

कंदों की खुदाई व देखभाल : हरी सब्जी के लिए प्याज हरी अवस्था में उखाड़ लिया जाता है। जबकि मसाले, छोंक या भंडारण किए जाने वाले प्याज की खुदाई जब फसल तैयार हो जाए तब करें। कंदों की खुदाई के बाद भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए गांठों को 5-6 दिनो तक छायादार व हवादार जगहों पर खुला रखें तथा क्योरिंग के बाद कटे-फटे, दो मुंहे तथा बीमार कंदे निकाल कर ग्रेडिंग करके मंडी ले जाएं।

साभार जागरण