छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ भारत का एक राज्य है। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन १ नवम्बर २००० को हुआ था। यह भारत का २६वां राज्य है। भारत में दो क्षेत्र ऐसे हैं जिनका नाम विशेष कारणों से बदल गया - एक तो 'मगध' जो बौद्ध विहारों की अधिकता के कारण "बिहार" बन गया और दूसरा 'दक्षिण कौशल' जो छत्तीस गढ़ों को अपने में समाहित रखने के कारण "छत्तीसगढ़" बन गया। किन्तु ये दोनों ही क्षेत्र अत्यन्त प्राचीन काल से ही भारत को गौरवान्वित करते रहे हैं। "छत्तीसगढ़" तो वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ के प्राचीन मन्दिर तथा उनके भग्नावशेष इंगित करते हैं कि यहाँ पर वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध के साथ ही अनेक आर्य तथा अनार्य संस्कृतियों का विभिन्न कालों में प्रभाव रहा है।छत्तीसगढ़ के उत्तर में उत्तर प्रदेश और उत्तर-पश्चिम में मध्यप्रदेश का शहडोल संभाग, उत्तर-पूर्व में उड़ीसा और झारखंड, दक्षिण में तेलंगाना और पश्चिम में महाराष्ट्र राज्य स्थित हैं। यह प्रदेश ऊँची नीची पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ घने जंगलों वाला राज्य है। यहाँ साल, सागौन, साजा और बीजा और बाँस के वृक्षों की अधिकता है। यहाँ सबसे ज्यादा मिस्रित वन पाया जाता है। सागौन की कुछ उन्नत किस्म भी छत्तीसगड क वनो में पायी जाती है। छत्तीसगढ़ क्षेत्र के बीच में महानदी और उसकी सहायक नदियाँ एक विशाल और उपजाऊ मैदान का निर्माण करती हैं, जो लगभग 80 कि॰मी॰ चौड़ा और 322 कि॰मी॰ लम्बा है। समुद्र सतह से यह मैदान करीब 300 मीटर ऊँचा है। इस मैदान के पश्चिम में महानदी तथा शिवनाथ का दोआब है। इस मैदानी क्षेत्र के भीतर हैं रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर जिले के दक्षिणी भाग। धान की भरपूर पैदावार के कारण इसे धान का कटोरा भी कहा जाता है। मैदानी क्षेत्र के उत्तर में है मैकल पर्वत शृंखला। सरगुजा की उच्चतम भूमि ईशान कोण में है। पूर्व में उड़ीसा की छोटी-बड़ी पहाड़ियाँ हैं और आग्नेय में सिहावा के पर्वत शृंग है। दक्षिण में बस्तर भी गिरि-मालाओं से भरा हुआ है। छत्तीसगढ़ के तीन प्राकृतिक खण्ड हैं : उत्तर में सतपुड़ा, मध्य में महानदी और उसकी सहायक नदियों का मैदानी क्षेत्र और दक्षिण में बस्तर का पठार। राज्य की प्रमुख नदियाँ हैं - महानदी, शिवनाथ, खारुन, अरपा, पैरी तथा इंद्रावती नदी।

सूखे से निपटने के लिए पर्याप्त कोष नहीं दे रहीं सरकारें

सूखे से निपटने के लिए पर्याप्त कोष नहीं दे रहीं सरकारें

राज्यसभा में सदस्यों ने महाराष्ट्र सहित 11 राज्यों में पीने के पानी के गंभीर संकट और किसानों की बढ़ती आत्महत्या पर चिंता जाहिर की। विपक्ष ने सरकार पर इन राज्यों के लिए पर्याप्त कोष जारी नहीं करने का आरोप लगाया। मौजूदा समय में पेयजल की समस्या बने रहने का उल्लेख करते हुए सदस्यों ने सरकार से देश भर में लंबित 312 सिंचाई परियोजनाओं को समयसीमा में पूरी करने को कहा। इन परियोजनाओं से पीने के लिए पानी की आपूर्ति और कृषि को फायदा होगा।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय किसान मेला शुरु

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में  तीन दिवसीय किसान मेला शुरु

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में मंगलवार से तीन दिवसीय किसान मेले की शुरुआत हुई। गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के हजारों किसानों ने इस सम्मेलन में शिरकत की। पहले दिन सदाबहार क्रांति एवं खाद्यान्न सुरक्षा पर राज्य सहकारी बैंक के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्य वक्ता दिलीप संघानी ने कहा कि कुछ वर्षों से किसान ने फसल के क्षेत्र में अनेक नवाचार स्वयं से विकसित कि ए हैं, जो काफी सराहनीय है। लेकिन अब समय के साथ चलकर विकास की गति को बढ़ाना होगा। किसान को बैंकिंग का लाभ लेना चाहिए। इससे ही किसानी के क्षेत्र में समृद्दता आएगी और देश का विकास होगा। श्वेत क्रांति व पशुपालन विषय पर कामधेनु विश

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