मशरूम

मशरूम

कुकुरमुत्ता (मशरूम) एक प्रकार का कवक है, जो बरसात के दिनों में सड़े-गले कार्बनिक पदार्थ पर अनायास ही दिखने लगता है। इसे या खुम्ब, 'खुंबी' या मशरूम भी कहते हैं। यह एक मृतोपजीवी जीव है जो हरित लवक के अभाव के कारण अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं कर सकता है। इसका शरीर थैलसनुमा होता है जिसको जड़, तना और पत्ती में नहीं बाँटा जा सकता है। खाने योग्य कुकुरमुत्तों को खुंबी कहा जाता है।
'कुकुरमुत्ता' दो शब्दों कुकुर (कुत्ता) और मुत्ता (मूत्रत्याग) के मेल से बना है, यानि यह कुत्तों के मूत्रत्याग के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है। ऐसी मान्यता भारत के कुछ इलाकों में प्रचलित है, किन्तु यह बिलकुल गलत धारणा है।

मोती पालन, मशरूम की खेती,कड़कनाथ मुर्गा पालन व स्टीविया की खेती के प्रशिक्षण पर 50% की छूट

मोती पालन, मशरूम की खेती,कड़कनाथ मुर्गा पालन व स्टीविया की खेती के प्रशिक्षण पर 50% की छूट

कृषि के क्षेत्र में पारंपरिक खेती करके एक किसान सालाना 50 हजार से 60 हजार ही कमा पाता है वही आधुनिक खेती करके 2-3 लाख  सालाना कमा सकते हैं 

दो  दिवसीय 
 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं प्रशिक्षण शुल्क में भी 50% की छूट होगी साथ ही अनेकों फायदे हैं
8-9 February 2020

Day 1
मोती पालन 
मशरूम की खेती 
Day 2 
कड़कनाथ मुर्गा पालन 
स्टीविया की खेती 

प्रशिक्षण शुल्क
4600/- 
( बमोरिया फार्म पर रहना और खाना  और रहना इंक्लूड होगा)

युवाओं के लिए बेहतर व्यवसाय है मशरूम

 युवाओं के लिए बेहतर व्यवसाय है मशरूम

स्वरोजगार के जरिए न सिर्फ धन कमाया जा सकता है, बल्कि समाज में अपनी एक अलग पहचान भी बनाई जा सकती है। ऐसे कई रास्ते हैं, जो सेल्फ एंप्लॉयमेंट द्वारा आपको सफलता तक ले जा सकते हैं। इन्हीं में से एक है मशरूम उत्पादन। मशरूम यानी खुंबी। इसे गांवों में छतरी व कुकरमत्ता आदि नामों से जाना जाता है। दरअसल, मशरूम को मृत कार्बनिक पदार्थों पर उगने वाला एक मृतजीवी कवक भी कहते हैं। यह खुंबी उत्पादन ग्रामीण युवाओं के लिए एक बेहतर व्यवसाय साबित हो सकता है।