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कोहरा ना पड़ने से गेहूं की किसानों में चिंता

कोहरा ना पड़ने से  गेहूं की किसानों में चिंता

मौसम की मार पड़ने से किसान चिंति​त है। दिसबंर से लेकर फरवरी तक मौसम सर्दी का होता है। दिसंबर मे घना कोहरा पड़ता था,लेकिन अबकी बार कुछ दिन ही कोहरा पड़ा था,जबकि अब जनवरी लगते ही किसी प्रकार का कोहरा नहीं पड़ा है। इससे किसानों के माथे की लकीरें फिर से बढ़ गई हैं। अगर अब गेहूं के सीजन मे कोहरा ना पड़ा तो गेहूं की फसल की पैदावर कम होगी। किसानों का कहना है कि धुंध ना पड़ने से गेहूं के पौधे की बढवार नहीं हो रही है उसके पौधे में फुटाव नहीं हो रहा है ।जिस कारण गेंहू में ग्रोथ नहीं हो रही।  इस बार सर्दी के मौसम में अपेक्षाकृत सर्दी न पड़ने से किसानों के चेहरे पर मायूसी देखी जा रही है। पिछले एक महीने से ता

किसान खेती को जहरीला नहीं बनाएं

किसान खेती को जहरीला नहीं बनाएं

भूमि' कृषि प्रधान भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है। देश की दो तिहाई से अधिक आबादी आज भी  कृषि, पशुपालन और इससे सम्बंधित व्यवसायों पर निर्भर है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली देश की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पूरी तरह भूमि पर निर्भर है, लेकिन हाल के वर्षों में सरकार भूमि अधिग्रहण से ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि योग्य निजी और सार्वजनिक जमीन निरन्तर सिकुड़ती जा रही है।

किसान खेती को फायदे का धंधा बनाएं जरूर, लेकिन लोगों की जान की कीमत पर नहीं। किसानों को जैविक और परंपरागत खेती करने की सलाह भी दी। किसान खेती को जहरीला नहीं बनाएं। रसायनों का कम उपयोग करें।

गेहूं की कटाई के बाद बचे अवशेषों को खेतों में न जलाये

गेहूं की कटाई के बाद बचे अवशेषों को खेतों में न जलाये

आधुनिक तकनीक का कृषि में समझदारी से उपयोग करना बहुत जरुरी है। जैसे मजदूरों की कमी के विकल्प के तौर पर आई कंबाइन मशीन वर्तमान में खेती के लिए घातक बनती जा रही है। किसानों द्वारा गेहूं की कटाई के बाद बची पराती को खेतों में जलाया जाता है। जिससे मृदा के पोषक तत्व नष्ट हो जाते है और धुएं से निकलती जहरीली गैसें पर्यावरण को प्रदूषित कर देती है।

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