गर्मी के मौसम में पशुओं की समुचित देखभाल कैसे करें?

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गर्मी के मौसम में पशुओं की समुचित देखभाल कैसे करें?

 गाय और भैंस

पशुपालक भाइयों गर्मी का समय गायों और प्रमुख रूप से भैंसो के लिए कठिन समय होता है और हीट-स्ट्रोक के होने कि संभावना हमेशा बनी रहती है। अतः इनको छायादार स्थानों या पशु बाड़ों में रखना चाहिए, दिन में दो बार नहलाना चाहिए या स्प्रिंकलर या तालाब का प्रयोग किया जा सकता है। पशु बाड़ें में कूलर भी लगाया जा सकता है। जहां तक संभव हो हारा चारा या साइलेज दिन मे एक बार जरूर देना चाहिए जिससे पशु कि भोजन में रुचि बनी रहे। साफ और ठंडा पीने का पानी दें। इस मौसम में पशु मुख्यतः भैंस गर्मी के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं इसलिए सुबह-सुबह या देर शाम को गर्मी के लक्षण के लिए पशु कि जांच कि जानी चाहिए खनिज (मिनरल मिक्सचर) की भरपूर मात्रा देनी चाहिए।

 

भेंड एवं बकरी

गर्मी के दिन शुरू हो चुके हैं अतः हमें इनको छायादार स्थानों या पशु बाड़ों में रखना चाहिए जिससे इनको हीट –स्ट्रोक से बचाया जा सके और उत्तम गुणवत्ता के हरे चारे या साइलेज और साफ पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। इस मौसम में कुछ रोग जैसे कि पाक्स और पीपीआर के होने संभावना ज्यादा होती है इसलिए इन रोगों के टीके अगर नहीं लगाए गए है तो उनको लगाना चाहिए।

सुकर

जैसा कि आप जानते हैं कि आने वाले कुछ दिनों में तापमान में वृद्धि होगी और लू चलेगी। अतः गर्मी का सुकर के स्वास्थ्य पर ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इनके शरीर में स्वेद-ग्रंथियां कम होने से पसीने द्वारा तापमान का नियंत्रण नहीं हो पता और इनके फेफड़े भी छोटे आकार के होते हैं। इसलिए गर्मियों में इनका खास ख्याल रखा जाना चाहिए। गर्मी के कारण जानवर खाना कम खाता है, पानी अधिक पीता है और शरीर का वजन कम होने लगता है। कभी-कभी शरीर में अम्ल-क्षार का संतुलन बिगड़ जाता है और डायरिया होने लगता है। अतः गर्मी में हम निम्न बातों का ख्याल रखें तो इससे होने वाले दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है: सुकर के रहने वाली जगह हवादार होनी चाहिए, पीने के लिए ताजा और ठंडा पानी कि व्यवस्था होनी चाहिए, भोजन को सुबह- और शाम को जब तापमान कम होता है तभी दें, जानवर को नहलाएँ या स्प्रिंकलर से पानी का छिड़काव करें, और एंटिआक्सिडेंट को भी देना आवश्यक है। यदि जानवर को डायरिया है तो उसका तुरंत उपचार कराएं।

 

मुर्गी

मुर्गियों में हीट स्ट्रैस कि समस्या बहुत ज्यादा होती है अतः कूलर और वॉटर स्प्रिंक्लेर का प्रयोग जरूरी है। पीने के लिए ठंडे पानी कि व्यवस्था करें और एंटिआक्सिडेंट दें।

डॉ. अखिलेश कुमार, वैज्ञानिक, औषधि विभाग , आईवीआरआई, इज़्ज़तनगर डॉ आर के सिंह, अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र बरेली [email protected]