कृषि कैलेण्डर .माहवार क्या क्या करें
जनवरी महीने के प्रमुख कृषि कार्य
इस महीने में गन्ने की तैयार फसल की कटाई की जाती है एवं कटाई के बाद गुड़ बनाया जाता है।
इसके उपरान्त गन्ने की नई फसल लगाने के लिए खेत को तैयार करते हैं छत्तीसगढ़ के किसान।
जो गेहूँ देर से बोये जाते हैं, उस गेहूँ में प्रथम सिंचाई किरीट जड़ अवस्था में करते हैं। अर्थात बोने के 21-25 दिन बाद ये किया जाता है।
रबी दलहनों में पहले सिंचाई के बाद निदाई गुड़ाई करते हैं।
चना, मटर, मसूर में कटुआ इल्ली के कोप से फसलों की रक्षा की व्यवस्था करते हैं।
मटर में 10-15 दिन के अंतर से ये फलियाँ तोड़ी जाती हैं।
चना, बूट दाना भरने के बाद बेचने के लिये बाजार भेजा जाता है।
सरसों, राई, अलसी, चना इत्यादि रबी फसलों में फूल आते समय सिंचाई करते हैं।
इसी समय सुरजमुखी मक्का और चारे हेतु सुडान धास की बोनी आरम्भ करते हैं।
इसी महीने में अमरुद, पपीते, आँवले और नींबू के पके फलों की तुड़ाई की जाती है।
इसी महीने में टमाटर के पौधों को बांस की लकड़ी का सहारा दिया जाता है।
आलू के पौधों पर मिट्टी चढ़ाई जाती है।
फरवरी माह के प्रमुख कृषि कार्य
जनवरी में उगाई गई सब्जियों के पौधों की रोपाई की जाती है। खेतों में भिण्डी, तोरई, कद्दुू, लौकी, चौलाई और मूली के बीजों को बोते हैं और इन सबकी सिंचाई की जाती है।
बौने गेहूँ में उर्वरक की आखरी मात्रा देकर सिंचाई करते हैं।
सूर्यमुखी के खेत में निदाई करते हैं और मिट्टी चढ़ाई जाती है।
गन्ने के स्वस्थ बीज का चुनाव कर बीजोपचार करते हैं।
बरसीम की कटाई 20 से 25 दिनों के अन्तर में की जाती है।
बरसीम, चटी के लिये मक्का, ज्वार, लोबिया और मक्का मिलाकर बोते हैं।
सरसों, अलसी यदि पकने लगे हों तो उन्हें काट लिया जाता है। नहीं तो ज्यादा पक जायेगा और बीज छिटकने लगेगें।
प्याज और लहसुन के खेतों में गुड़ाई करने के बाद मिट्टी चढ़ाते हैं।
आलू की खुदाई करते हैं। जाड़े के फूलों के बीज एकत्र करते हैं। गर्मियों के फलों के बीजों की बुवाई करते हैं।
मार्च माह के प्रमुख कृषि कार्य
चने और अलसी की फसल काटकर खेत को अगली फसल के लिए तैयार करते हैं।
चारे के लिए ज्वार व लोबिया की मिश्रित बोनी करते हैं।
गन्ने में पानी दिया जाता हैं। मक्का, बरबटी, लहसून फसल कटाई करके जानवरों को खिलाते हैं।
अरहर, सरसों, चने और दूसरे दलहनी फसलों की कटाई की जाती है।
खेत की जुताई करते हैं। इससे कीड़े मकोड़ों से पौधों की रक्षा होती है।
कटी हुई फसलों को सुखाया जाता है। उसके बाद उड़ावनी करने के बाद ऐसी जगह मे रखा जाता है जहाँ नमी नहीं है।
पहले गन्ने के खेत की सफाई होती है। और सिंचाई करते हैं। उर्वरक की जो मात्रा निर्धारित है, वह देकर सिंचाई करते हैं।
जो गेहूँ असिंचित है, उसमें 2-3 प्रतिशत यूरिया का घोल छिड़कते हैं।
प्याज और लहसुन की गुड़ाई की जाती है और उसके बाद मिट्टी चढ़ाते हैं।
आलू की खुदाई करते हैं। जो सब्जियाँ तैयार हैं उनकी सामयिक तुड़ाई करते हैं।
ग्रीष्मकाल के सब्जियों की बुवाई करते हैं - जैसे कद्दुू, लौकी, भिण्डी, मूली आदि सब्जियाँ।
पपीता के पेड़ों की सिंचाई की जाती है। केले की भी।
अप्रैल माह के प्रमुख कृषि कार्य
गेहूँ की फसल की कटाई करते हैं। और उसके बाद खेत को मूंग या चारे की फसल के लिये तैयार की जाती है।
गन्ने में पानी देकर निदाई-गुड़ाई करते हैं। उर्वरक देते हैं।
मक्का, बरबटी, लूसन को काटकर-जानवरों को खिलाया जाता है।
अहरह, जौ, सरसों, अलसी की कटाई की जाती है।
खेत की जुताई की जाती है ताकि कीड़े मकोड़ों से पौधों की रक्षा करे।
जो फसलो की कटाई हुई है, उसे सुखाकर उड़वनी कर अनाज को अच्छे से रखते हैं। कोठी, टंकी, बारदानों को अच्छी तरह साफ करने के बाद नया अनाज उनमें रखते हैं।
आम के बगीचे में पानी देते हैं।
नींबू जातिय पेड़ों में सिंचाई बन्द रखते हैं।
केले के पौधों में चारों ओर से निकलते हुए सकर्स को निकाल दिया जाता है।
ग्रीष्मकाल के भिण्डी के बीज से बुवाई करते हैं। दूसरे खड़ी फसलों की हर सप्ताह सिंचाई की जाती है। प्याज और लहसुन की खुदाई करते हैं।
मई महीने के प्रमुख कृषि कार्य
मई महीने में रबी फसलों की गहाई और सफाई करते हैं।
मक्का, ज्वार, लोबिया इत्यादि की बुताई शुरु हो जाती है।
खेतों की जुताई करते हैं - मेड़ों को बाँध देते हैं।
गन्ने की फसल में 90-92 दिन के अन्दर सिंचाई करते हैं।
मक्का, ज्वार, संकर नेपियर घास की फसलों की सिंचाई 10-12 दिन के अन्तर पर करते हैं।
इस महीने में केला और पपीता फलों को पत्तियों व बोरियों से ढक कर तेज धूप से बचाया जाता है।
कद्दुू जैसे फसलों में निदाई, गुड़ाई और सिंचाई करते हैं।
कद्दुू, तरबूज, ककड़ी, खरबूजा को कीट रोग से बचाते हैं। जो फल तैयार है, उसे तोड़ लेते हैं।
आम के पेड़ों की देखभाल अच्छे से करते हैं।
अरबी, अदरक, हल्दी की बुवाई की जाती है
सागौन, खम्हार, बीजा, महुआ, शीशम इत्यादि पौधों के बीज बोने का समय है तथा बीज बोने के बाद रोज सुबह शाम हल्की सिंचाई करते हैं।
जून महीने के प्रमुख कृषि कार्य
इस महीने में धान का रोपा लगाया जाता है - छत्तीसगढ़ जिसे धान का कटोरा कहा जाता है, वहाँ धान बड़े पैमाने में लगाया जाती है।
सभी धनहा खेतों को बंधान बाँध दिया जाता है ताकि नमी हो। वर्षा होने के बाद खेत जोतकर बोनी करते हैं।
हरा चारा ताकी लगातार मिले इसीलिए ज्वार, मक्का, ग्वार, लोबिया, संकर नेपियर घास फसलों की बुवाई करते रहते हैं।
जो फसले बोई गयी है, उसकी सिंचाई करते रहते हैं।
मक्का, बाजरा, ज्वार, लोबिया की फसल, जो मार्च-अप्रैल में बोई गयी थी, उसकी कटाई करते हैं। मक्का को सूत आने पर काटते हैं। बाजरा को, जब बाली कोथ में हो, तब कटाई की जाती है। लोबिया और ज्वार की कटाई फूल आने पर की जाती है।
इस महीने में बारिस की जरुरत से ज्यादा पानी को खेत से निकालने का व्यवस्था करते हैं।
धान की रोपा लगाने के बाद उसी खेत में सवई, ढेंचा की बोनी हरी खाद के लिए करते हैं।
ऐसी जमीनों में, जहाँ पानी नहीं रुकता, धान की खेती नहीं करते हैं। वहाँ दलहन, तिलहन फसलों के बोनी की जाती है इस महीने में।
धान के खेत की मेड़ों पर अरहर या चारावाली फसलों की बोवाई करते हैं।
जुलाई महीने के प्रमुख कृषि कार्य
धनहा खेत में हरी खाद की फसल लगाते हैं। ये गहरे हल से जुताई करके किया जाता है।
धान का रोपा लगाया जाता है। जो धान जून के अन्त में बोयी गयी थी, उसकी निंदाई की जाती है।
मक्का, जो मई या जून में बोई गयी थी, उसकी निंदाइ की जाती है।
इस महीने में फिर से मक्का बाजरा, ज्वार, अरहर आदि लगाते हैं।
गन्ने पर मिट्टी चढ़ायी जाती है। कपास, मूंगफली की निंदाई-गुड़ाई करते हैं।
सूरजमुखी की बुवाई करना शूरु हो जाता है।
चारे के लिये सूडान घास, मक्का, नेथियर, रोड्स पारा आदि घास लगायी जाती है।
आम के फलों की तुड़ाई करते हैं, हर फलदार पौधे को अच्छे से, ठीक मात्र में गोबर की खाद दी जाती है।
नींबू में खाद देते हैं। अमरुद के पौधे लगाये जाते हैं। केले के नये बगीचे लगाते हैं और पौधों में खाद देते हैं।
पपीते के बगीचे लगाते हैं। लताओं वाली सब्जियों के पौधों का मण्डल में चढ़ाते हैं।
जून महीने में तैयार सब्जियों के पौधे का रोपण करते हैं।
अगस्त माह के प्रमुख कृषि कार्य
चारे की फसलों की कटाई की जाती है। जैसे ज्वार, बरबटी।
सूरजमुखी की फसल खाली खेतों में लगाते हैं।
इस महीने के आखरी दिनों में रामतिल की फसल लगाते हैं।
गन्ने एवं मूंगफली की निदाई करते हैं एवं गुड़ाई करते हैं। उसके बाद उस पर मिट्टी चढ़ायी जाती है।
धान की फसल में उर्वरक की मात्रा दिया जाता है।
धान, ज्वार, अरहर, मूंग, उड़द, मक्का, सोयाबीन इत्यादि फसलों के खरपतवार निकाली जाती हैं, गुड़ाई की जाती है।
मूंगफली में फूल लगने शुरु हो जाने के बाद मिट्टी चढ़ाते हैं।
इस महीने में अगर मक्के की फसल तैयार हो गई है तो भुट्टे तोड़ लेते हैं। और फिर खेत को रबी की फसल के लिये तैयार करते हैं।
आम के नये बगीचे लगता हैं। अमरुद के नये बगीचे इस समय लगाते हैं। पपीता में खाद देते हैं। भिण्डी और बरबटी की तुड़ाई करते हैं। सभी फसलों को कीटनाशक, फंफूदीनाशक दवाईयों द्वारा कीड़ो, बीमारियों से बचाते हैं।
सितम्बर माह के प्रमुख कृषि कार्य
सितम्बर में मक्का ज्वार की कटाई की जाती है।
धान के खेत में नमी होनी चाहिये, यदि नमी कम हो तो सिंचाई करते हैं।
महीने के अन्त में अलसी, सरसों एवं कुसुम इत्यादि फसलें बोते हैं।
रबी की फसलों के लिये खेत की तैयारी करते हैं।
आलू, जो जल्दी पकते हैं, उसे बोया जाता है।
आम के लगाये गये नये पौधों की सुरक्षा करते हैं।
अमरुद के बगीचों की सिंचाई करते हैं।
धनिया की बुवाई करते हैं। देशी मटर, प्याज, मूली, गाजर, चुकन्दर, सेम, सौफ, देर से आने वाली गोभी, पालक की बुवाई करते हैं।
भिण्डी और बरबरी आदि तैयार फसलों की तुड़ाई करते हैं।
अक्टूबर माह के प्रमुख कृषि कार्य
रबी की फसलों के लिए खेत की तैयारी करते हैं।
धान की कटाई होती है। आलू की अगेती फसल की बोनी करते हैं। अमरुद वृक्षों में सिंचाई करते हैं। गन्ने की खड़ी फसल में सिंचाई करते हैं। खड़ी फसल में से सूखे पत्ते निकाल देते हैं।
चना, मटर, मसूर, तिवड़ा, कुसुम, सरसों की बोनी करते हैं।
रबी साग-सब्जियों की गोभी, टमाटर, बैंगन, मिर्च, पत्तागोभी, गांठ गोभी की रोपणी डाले जाते हैं।
नवम्बर माह के प्रमुख कृषि कार्य
सोयाबीन, तिल की काटई करते हैं और उस खेत को रबी फसल के लिए तैयार करते हैं।
धान की कटाई करते हैं और खेत को अगली फसल बोने के लिए तैयार करते हैं।
गेहूँ की बोनी इसी माह में होती है। यदि खेत में नमी न हो तो बोनी के बाद सिंचाई करते हैं।
गेहूँ जो असिंचित है, उसमें से खपपतवार निकालते हैं।
चना, मटर, सरसों की बोनी करते हैं।
कपास की चुनाई नियमित समय में करते हैं।
मूँगफली की खुदाई पूर्ण करते हैं - ज्वार के भुट्टे तोड़ लिए जाते हैं।
गन्ने की फसल अगर तैयार हो गई हो तो उसे काट लेते हैं।
अरहर, जो जल्दी पकने वाली है, उसे काटकर खेत की तैयारी करते हैं।
नींबू जैसी फसलों में सिंचाई बन्द कर देते हैं।
पके हुए अमरुदों की तुड़ाई करते हैं।
केले की फसल में खाद देकर फल से लदे हुए वृक्षों को टेक लगाकर सहारा दिया जाता है।
पके हुए पपीते को तोड़ते हैं। आलू की फसल में मिट्टी चढ़ाते हैं।
बैंगन, मिर्च, टमाटर आदि की तुड़ाई करते हैं।
दिसम्बर माह के प्रमुख कृषि कार्य
इस महीने में धान की कटाई तथा उड़ाई करवाकर, उसे सुखाकर कोठियों में भरकर रखते हैं।
गन्ने के फसल लगाने के लिए खेत को अच्छी तरह जोतकर तैयार करते हैं। गुड़ बनाना भी शुरु कर देते हैं।
सिंचित गेहूँ में 20-22 दिनों के अन्तर से सिंचाई करते हैं।
खाली खेतों में जुताई, गुड़ाई, मेड़ बनाने एवं जमीन को सुधारते हैं।
अमरुद, पपीते, आंवले और नींबू की तुड़ाई करते हैं।
आलू के पौधों पर मिट्टी चढ़ाते हैं।
टमाटर के पौधों को बाँस के लकड़ी का सहारा देते हैं।
प्रस्तुतकर्ता कृषि मुलस्च: जीवनम्