तापमान बना किसानो का दुश्मन रोकी रबी की फसल की बुबाई
मानसून के अभाव में पीली या सूख चुकी धान की फसल के बाद अंचल के किसानों को रबी की फसल से उम्मीद थी। लेकिन अक्टूबर माह में पड़ रही तेज गर्मी के चलते रबी की फसल में भी रुकावट आ रही है। किसान रबी की फसलों की बोवनी नहीं कर पा रहें है। जबकि अक्टूबर माह से धान की कटाई के बाद किसान सरसों, गेहूं, चना, मसूर और मटरा की खेती में जुट जाते हैं, लेकिन आधा माह निकलने के बाद भी बढ़े तापमान के कारण बोवनी शुरू नहीं की जा सकती है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को नमी होने पर ही बोवनी करने की सलाह दी है।
पहले ओलावृष्टि की मार, फिर मानसून की दगाबाजी के बाद अक्टूबर माह में तेज गर्मी ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है। अंचल के किसान बारिश न होने से धान की फसल बर्बाद होने के बाद एक बार फिर आशा भरे मन से रबी की फसलों की बोवनी की तैयारी में जुटना चाह रहे थे, लेकिन गर्मी रोड़ा बन गई। इस संदर्भ में कृषि अधिकारियों का भी कहना हैं कि लगातार बढ़ रहे तापमान में अगर किसानों ने जल्दबाजी में रबी की बोवनी की, तो बीज खराब हो सकते हैं। इस तापमान में बोये बीज अंकुरित होने की उम्मीद बहुत कम होगी। किसान जमीन में नमी होने पर ही फसल की बोवनी करें।
तापमान का इधर भी पड़ा हैं असर
स्वास्थ्य-अक्टूबर माह में वैसे गुलाबी सर्दी के कारण तापमान कम हो जाता है। लेकिन अभी भी तेज गर्मी है। इससे मरीजों की संख्या बढ़ गई है। ओपीडी में सर्दी,जुकाम और वायरल बुखार से पीड़ित सैकड़ों मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे है।
बाजार- बाजार में भी बदलते मौसम का प्रभाव दिखाई पड़ रहा है। खरीफ की फसलें बर्बाद होने के बाद किसानों के पास पैसा नहीं है। इससे वे खरीददारी करने नहीं आ रहे हैं। इसी तरह कड़ी धूप के कारण लोग शाम को बाजार में निकलना बेहतर समझ रहे हैं।
खेत में पानी लगा रहें हैं
चने की खेती के लिए खेत तैयार कर रहें हैं। लेकिन गर्मी में कमी नहीं हो रही है। ऐसे में कैसे बोवनी करें? यदि ऐसा ही रहा तो बोवनी लेट हो जाएंगी और खेत की सिंचाई के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
किसान हेल्प लाइन के विशेषज्ञों नें किसानो को धैर्य पूर्वक रहने की सलाह दी है तापमान कम होने पर ही करें बोवनी जिसके लिए कुछ दिनों ओर इंतजार करना होगा, क्योंकि अभी तापमान ज्यादा है, जो बोवनी के लिए नुकसानदायक हो सकता है । किसानों को तापमान कम होने के बाद जमीन में नमी आने पर बोवनी करें। साथ ही कम अवधि वाली फसलों पर ज्यादा ध्यान दें।