सैटेलाइट से होगी देश में कृषि भूमि की मैपिंग
सैटेलाइट से होगी देश मेंकृषि भूमि की मैपिंग
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मृदा (मिट्टी) स्वास्थ्य परीक्षण की योजना छत्तीसगढ़ में मूर्त रुप ले रही है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने देश में पहली बार 'डिवेलपमेंट ऑफ केडेस्ट्रल लेवल लैंड यूज प्लान फॉर छत्तीसगढ़ स्टेट' के तहत अमेरिकन सेटेलाइट के 'एडवांस डिजिटिंग ग्लोब' से कृषि भूमि की मैपिंग कराई है। विश्वविद्यालय का दावा है कि देश में पहली बार छत्तीसगढ़ में मृदा स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है।
इसकी रिपोर्ट संबंधित भूमि मालिक, पोर्टल में खसरा नंबर डालकर ऑनलाइन देख सकेंगे। पायलट प्रोजेक्ट में राज्य के मुंगेली जिले के 80 गांवों की मैपिंग करा ली गई है। कृषि विवि अब सरकार से इस योजना को साझा करेगा, ताकि राज्य के सभी जिलों की कृषि जमीन की मैपिंग कराई जा सके और किसान अपनी जमीन के एक-एक इंच का उपयोग कर सकें।
मुंगेली जिले में मुख्य रूप से मटासी और डोसा मिट्टी है, इसलिए औसत वर्षा कम होती है। नतीजतन लोग मानसून वर्षा पर आश्रित होते हैं और धान बुवाई करते हैं। ऐसे में यह मैपिंग भविष्य में जिले के किसानों की तकदीर को बदलेगी। यह प्रोजेक्ट कृषि विवि के कुलपति डॉ.एसके पाटील के निर्देश पर 'स्वाइल एंड वाटर इंजीनियरिंग' ब्रांच कर रही है। इसके लीड पीआई और एचओडी डॉ.एमपी त्रिपाठी हैं।
अमेरिकन सेटेलाइट की मदद इसलिए
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र (इसरो) बेंगलुरू के अंतर्गत हैदराबाद में नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएसी) है। इसी की मदद से कृषि विवि के मैपिंग का काम अमेरिकन सेटेलाइट कर रही है, जिसकी कीमत 17 डॉलर प्रति स्केवयर किमी है। मुंगेली जिले में लगभग सात सौ गांव है, जिसमें 80 गांवों के 352 स्क्वेयर किमी का मैपिंग किया जा चुका है।
यह सेटेलाइट जमीन की आधा मीटर बाई आधा मीटर चौड़ाई वाली वस्तुओं का मल्टीस्पेक्ट्रम इमेज लेती है। हाई रिव्यूल्सन के कारण फसल में लगी बीमारी, नमी और सूखे को रंग के माध्यम से डाटा इकट्टा कर लेता है, जबकि भारतीय सेटेलाइट जमीन सतह से 5.8 मीटर उपर की वस्तुओं का ही मूल्यांकन कर पाता है।
कृषि जमीन की महत्ता को बढ़ाने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विवि ने देश में पहली बार अमेरिकल सेटेलाइट से मैपिंग कराई है। मुंगेली जिले के 80 गांवों में पिछले छह महीन से यह प्रोजेक्ट चल रहा है। निश्चित रूप से इसके माध्यम से किसानों को अपनी जमीन, फसल, बीज और पानी जैसे अन्य संसाधनों की उपयोगिता के बारे में मालूम हो सकेगा। धीरज खलको, साइंटिस्ट व प्रोजेक्ट इन्वेस्टिगेटर
मैपिंग से फायदे
1 सरकार जिलेवार कृषि नीति बना सकेगी
2 जमीन के एक-एक इंच का उपयोग करना
3 किसान रिपोर्ट देखकर फसल की बुवाई करेगा
४ खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए जलस्रोत
5 मौसम आधारित फसल से आय स्रोत
साभार नई दुनिया जागरण