हमे बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया इन रासायनिक खादों ने :गिरिजा कान्त सिंह

हमे बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया इन रासायनिक खादों ने ऐसे शव्दों को न्यूट्रीवर्ड कम्पनी के डायरेक्टर  श्री गिरिजा कान्त सिंह जी ने ।उन्होंने फसल में लगातार बदने बाले उर्वरकों के प्रति चिन्ता जाहिर की उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों का  प्रयोग वर्ष प्रति वर्ष बढ़ता जा रहा है। उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशको का चलन हरित क्रांति में किया गया।हमारे प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन जी ने रासानिक खादों और संकर प्रजाति के बीजों की वकालत की। जिसकी  कीमत अव हमारे देश के किसान चुका रहे हैं ,उन्होंने साथ ही यूरिया के अंधाधुंध प्रयोग पर चिन्ता जाहिर की साथ ही उन्हो

गन्ना भुगतान में देरी के लिए सरकार के साथ रासायनिक कीटनाशक भी जिम्मेदार

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निजी हित के लिए बहुत सी कम्पनियाँ किसानों को गुमराह करतीं हैं।देश में किसानों की आर्थिक स्थिति से लेकर स्वास्थ्य समस्यायें बढ़ती जा रही हैं।सरकार और बैज्ञानिकों को अपनी जिम्मेदारी से किसानों के लिए काम करना चाहिए और साथ में किसानों को भी अपनी जागरूपता बढ़ानी होगी।

जिरेनियम की खेती

कम पानी और जंगली जानवरों से परेशान परंपरागत खेती करने वाले किसानों के लिए जिरेनियम की खेती राहत देने वाली साबित हो सकती है। जिरेनियम कम पानी में आसानी से हो जाता है और इसे जंगली जानवरों से भी कोई नुकसान नहीं है। इसके साथ ही नए तरीके की खेती ‘जिरेनियम’ से उन्हें परंपरागत फसलों की अपेक्षा ज्यादा फायदा भी मिल सकता है। खासकर पहाड़ का मौसम इसकी खेती के लिए बेहद अनुकूल है। यह छोटी जोतों में भी हो जाती है। जिरेनियम पौधे की पत्तियों और तने से सुगंधित तेल निकलता है।

 

धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के कारगर उपाय

धान की फसल में पाये जाने वाले प्रमुख खरपतवार सावां घास, सावां, टोडी बट्टा या गुरही, रागीया झिंगरी, मोथा, जंगली धान या करघा, केबघास, बंदरा- बंदरी, दूब (एकदलीय घास कुल के), गारखमुडी, विलजा, अगिया, जलकुम्भी, कैना, कनकी, हजार दाना और जंगली जूट हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिए निम्रलिखित उपाय अपनावें:-
1. जहां खेत में मिट्टी को लेव बनाकर और पानी भरकर धान को रोपा या बाया जाता है, वहां जो खरपतवार भूमि तैयार करने से पहले उग आते हैं, वे लेव बनाते समय जड़ से उखाड़कर कीचड में दब-सड़ जाते हैं। इसके बाद मिट्टी को 5 से. मी. या अधिक पानी से भरा रखने पर नए व पुराने खरपतवार कम पनप पाते हैं।

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