किसान

कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से सम्बंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है जो लोग कृषि के कार्य को करके अपनी जीविका उपार्जन करते है उन्हें किसान कहते है 
किसानो को निम्न बिन्दुओ से भी जाना जा सकता है 

1. जो फसलें उगाते हैं।

2. कृषक (farmer)

3. खेतिहर – खेती करने वाला।

4. जो खेत और फसल में अपना योगदान देते हैं।

5. जिनके पास स्वयं के खेत है और दूसरे कामगारों से काम करवाते हैं, किसान हैं।

6. किसान खेतों में पसीना बहाकर अन्न उपजाते हैं

क्लाइमेटिक जोन की खेती से आ सकती है कृषि क्षेत्र की रफ्तार

पेट भरने वाला कृषि क्षेत्र अब खुद की समस्याओं के पहाड़ से दबता जा रहा है। उबारने की इसकी जितनी कोशिश की गई, वह उतनी ही मुश्किलों के दलदल में धंसता जा रहा है। हरितक्रांति की सफलता की खुमारी में डूबा कृषि क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा लगातार नजरअंदाज होता रहा, जिसके चलते खेती की मूलभूत जरूरतों और बुनियादी ढांचों पर गंभीरता नहीं बरती गई। यही वजह है कि मौजूदा खेती खुद के साथ किसानों के लिए मुश्किलों का सबब बन गई है। थम गई विकास की दर को बढ़ाने के लिए खेती में वैज्ञानिक बदलाव जरूरी हो गया है।

पीएम-किसान पोर्टल पर सीधे कर सकते हैं रजिस्ट्रेशन

पीएम-किसान पोर्टल पर सीधे कर सकते हैं रजिस्ट्रेशन

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभ के लिए किसानों को अब राज्यों का मोहताज नहीं होगा। केंद्र सरकार ने पीएम-किसान पोर्टल बना दिया है, जिस पर किसान अपने विस्तृत ब्यौरे का साथ रजिस्ट्रेशन करा सकता है। इसका सबसे ज्यादा लाभ पश्चिम बंगाल के लगभग एक करोड़ किसानों को मिल सकता है, जहां की सरकार ने अभी तक एक भी किसान के नाम इस योजना के लिए केंद्र के पास नहीं भेजा है।

पश्चिम बंगाल के करीब एक करोड़ किसानों को मिलेगा लाभ

मोदी सरकार ने मानी गन्ना किसानों की 5 मांगें

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के आंदोलन के चलते नई दिल्ली की राजनीती गरमा गई थी। सहारनपुर से दिल्ली आते आते किसानों का यह आंदोलन तूल पकड़ रहा था, जिसकी वजह से सरकार के फैसले पर सबकी नजरें टिकी थी। पैदल मार्च कर आए भारतीय किसान संगठन की 15 में से 5 मांगें केंद्र सरकार ने मान ली हैं, जिसके बाद किसानों ने शनिवार को अपने आंदोलन को खत्म करने का ऐलान किया। माने हुए प्रमुख मांगो में से जल्द से जल्द गन्ना भुगतान करना और फसलों के न्यूनतम मूल्य तय करने के लिए समिति में किसानों के प्रतिनिधि की नियुक्ति करना है। किसानों के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कृषि मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात कर अपनी बातें

क्या किसान की आय सचमुच दोगुनी होगी ?

क्या किसान की आय सचमुच दोगुनी होगी ?

मोदी सरकार ने अपनी पहली सरकार में कहा था कि किसान की आय 2022 तक दोगुनी हो जाएगी, उन्होंने मिट्टी की जाँच से लेकर फ़र्जी जीरो बजट तक के जोर लगाए।
लेकिन विश्लेषण किया जाये तो हम किसान प्रति वर्ष 18%घाटे में जा रहे हैं।
किसान जब भी कोई बीज,खाद,कीटनाशक, या कृषि यंत्र खरीदता है तो उसे उस वस्तु के मूल्य पर 18%GST चुकानी होती है।
मौसम प्राकृतिक आपदा सहने के बाद जब वह अपनी फसल का उत्पादन करता है, तो उस उत्पादन का मूल्यांकन ए सी ऑफिस में बैठकर आला अधिकारी और मंत्री जी तय कर देते हैं,जैसे कि धान का समर्थन मूल्य1825 रूपये प्रति कुन्तल।

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