kisan

कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से सम्बंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है जो लोग कृषि के कार्य को करके अपनी जीविका उपार्जन करते है उन्हें किसान कहते है 
किसानो को निम्न बिन्दुओ से भी जाना जा सकता है 

1. जो फसलें उगाते हैं।

2. कृषक (farmer)

3. खेतिहर – खेती करने वाला।

4. जो खेत और फसल में अपना योगदान देते हैं।

5. जिनके पास स्वयं के खेत है और दूसरे कामगारों से काम करवाते हैं, किसान हैं।

6. किसान खेतों में पसीना बहाकर अन्न उपजाते हैं

क्या है किसान कमाई की सच रोटी कपड़ा भी नसीब नही

क्या है किसान की दोगुनी कमाई के दौर का सच

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सरदार वल्लभ भाईपटेल कृषि विवि में तीन दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेला

सरदार वल्लभ भाईपटेल कृषि विवि में तीन दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेला

तीन दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेले की सभी तैयारी पूरी कर ली गई हैं। किसान मेला कृषि कुंभ के रूप में आयोजित किया जाएगा। सोमवार को सरदार वल्लभ भाईपटेल कृषि विवि के कुलपति प्रो. गया प्रसाद ने मेले के संबंध में मीडिया से वार्ता कर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किसान मेले में एक ही मंच पर किसानों को अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध करायी जाएगी।

 

 

पशु प्रदर्शनी होगी मेले का आकर्षण

 

- कुलपति प्रो. गया प्रसाद ने बताया कि मेले को यादगार बनाने के हर संभव प्रयास किए गए हैं।

अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी’ का आयोजन 17 अक्टूबर से

पन्तनगर कृषि विश्वविद्यालय में 17 से 20 अक्टूबर 2016 तक 100 वॉं ’’अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी’

पन्तनगर किसान मेला

पन्तनगर कृषि विश्वविद्यालय में 17 से 20 अक्टूबर 2016 तक 100 वॉं ’’अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी’’ का आयोजन किया जा रहा है। कृषि कुम्भ के नाम विश्व विख्यात 04 दिवसीय किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी में जनपद के किसानों तथा कृषि विकास से सम्बन्धित अधिकारियों को आमंत्रित किया गया है।

 

फसलों से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण देश

युद्ध हुआ तो बर्बाद हो जाएगी सीमा पर लगी 70 हजार हेक्टेयर फसल

एलओसी पर तैनात जवान
सीमा पर लगी फसलों पर फिर से पाक गोलाबारी का खतरा बन गया है। बढ़ते आतंकी हमलों से संघर्ष विराम उल्लंघन की आशंका बन गई है। इसे लेकर बार्डर और एलओसी पर लगी धान और मक्की की फसल काटने की चुनौती किसानों के सामने खड़ी है।
लखनपुर से लेकर पुंछ के मंडी तक किसान भयभीत हैं। अक्सर फसल पकने और लगाने के समय पाक की ओर से गोले बरसाए जाते हैं। जानकारी के अनुसार जम्मू संभाग में 165 किलोमीटर लंबी एलओसी और इंटरनेशनल बार्डर पर तारबंदी है।  

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