सब्जियां

उतेरा खेती की आवश्यकता एवं महत्व

वर्तमान मे देश की बढ़ती जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने के लिये सघन खेती ही एकमात्र विकल्प बनता जा रहा है, क्योकि बढ़ती जनसंख्या के दबाव के कारण खेती की भूमि अन्य कार्यो के लिये परिवर्तित हो रही है एवं खेती का रकबा बढ़ाना अब संभव प्रतीत नही होता है। देश मे बहुत से क्षेत्र ऐसे है जहां की कृषि पूरी तरह से वर्षा पर आधारित है तथा सिंचार्इ के सीमित साधन के कारण ही रबी मौसम में खेत खाली पड़ी रहती है अत: ऐसे क्षेत्रों के लिए सघन खेती के रूप मे उतेरा खेती एक महत्वपूर्ण विकल्प साबित हो सकती है। इस खेती का मुख्य उद्देश्य खेत में मौजूद नमी का उपयोग अगली फसल के अंकुरण तथा वृद्धि के लिए करना है। इस प्रकार

लहसुन के सत से दूर करें तिलहन फसलों के रोग

इस रसायन का नाम डायलाइल थायोसल्फिनेट है, जो हर प्रकार के फफूंद से होने वाले रोगों को रोकने में सक्षम है। इसका छिड़काव करने से तिलहन की फसल पर लगने वाला फफूंद पूरी तरह से खत्म हो जाता है। सरसों उत्पादक जिलों में किए गये अध्ययन में ये बात साफ हो गई है कि रासायनिक कीटनाशकों के मुकाबले लहसुन के घोल का छिड़काव करने से जहां फसल पर लगा रोग पूरी तरह से समाप्त हो जाता है, वहीं पैदावार में भी कमी नहीं आती है।

लहसुन कि आर्गनिक ,जैविक, उन्नत खेती व शल्क कंदीय सब्जिया

: जलवायु -

लहसुन को ठंडी जलवायु कि आवश्यकता होती है वैसे लहसुन के लिए गर्म और सर्दी दोनों ही कुछ कम रहें तो उत्तम रहता है अधिक गर्म और लम्बे दिन इसके कंद निर्माण के लिए उत्तम नहीं रहते है छोटे दिन इसके कंद निर्माण के लिए अच्छे होते है इसकी सफल खेती के लिए 29.76-35.33 डिग्री सेल्सियस तापमान 10 घंटे का दिन और 70 % आद्रता उपयुक्त होती है समुद्र तल से 1000-1400 मीटर तक कि ऊंचाई पर इसकी खेती कि जा सकती है .

: भूमि -

उत्‍तर भारत में खरीफ मौसम में प्‍याज की खेती

उत्‍तरी भारत में प्‍याज रबी की फसल है यहां प्‍याज का भंडारण अक्‍टूबर माह के बाद तक करना सम्‍भव नही है क्‍योकि कंद अंकुरित हो जाते हैं।

इस अवधि‍(अक्‍टूबर से अप्रैल) में उत्‍तर भारत में प्‍याज की उपलब्‍ध्‍ता कम होने तथा परिवहन खर्चे के कारण दाम बढ जाते हैं। इसके समाधान के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने उत्‍तर भारत के मैदानो में खरीफ में भी प्‍याज की खेती के लिए एन-53(N-53) तथा एग्रीफाउंड डार्क रैड नामक प्‍याज की किस्‍मों का विकास किया है।

प्‍याज की किस्‍म : एन-53(आई.ए.आर.आई.); एग्रीफाउंड डार्क रैड (एन.एच.आर.डी.एफ.)

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