Aksh's blog

कृषि के लिए घातक है गिरता भूजल स्तर

कृषि के लिए घातक है  गिरता  भूजल स्तर

जल जो न होता तो, ये जग जाता जल।  सुप्रसुद्ध गीतकार व संगीतकार रवींद्र जैन

ग्लोबल वार्मिग का कृषि एवं जलवायु पर हानिकारक प्रभाव

ग्लोबल वार्मिग का कृषि एवं जलवायु पर हानिकारक प्रभाव

ग्लोबल वर्मिग ने समूचे जलवायु चक्र को प्रभावित किया है। हम जानते है कि कृषि पूरी तरह से मानसून के मिजाज पर निर्भर करती है। अतिवृष्टि, सूखा और बाढ़ बदलते जलवायु की ही देन है, जिनसे कृषि प्रभावित होती है। इसका कोई स्थायी उपाय अब तक संभव नहीं हो सका। 
कृषि अब पहले की तरह समृद्ध नहीं रही। किसान यह कहने पर मजबूर है कि अब कृषि की से कोई फायदा नहीं है। वह खेती करने की बजाय अन्य उद्यमों की ओर आकॢषत हो रहा है। क्योंकि खेती के लिए आवश्यक परिस्थितियों और संसाधनों का घोर अभाव है। ये परिस्थियां प्राकृतिक है,जो कृषि चक्र के लिए बहुत ही जरुरी है। 

जमीन की उर्वरता को बर्बाद करता है एंडोसल्फान

जमीन की उर्वरता को बर्बाद करता है एंडोसल्फान

जिस तरह सरकारों की चकाचौंध वाली विकास नीति के दायरे में यह बात कोई खास मायने नहीं रखती कि देश का राजस्व कौन किस तरह हड़प रहा है। उसी तरह उनकी कृषि नीति में भी आमतौर पर इस बात का कोई महत्व नहीं होता कि खेतों में कीटनाशकों और रासायनिक खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल खेती की जमीन की उर्वरता किस तरह बर्बाद करता है और इंसान की सेहत के लिए भी कितना घातक होता है। यही वजह है कि एंडोसल्फान नामक अत्यंत घातक कीटनाशक के खिलाफ उठ रही चौतरफा आवाजों का हमारी सरकारों पर कोई असर नहीं हो रहा है। भोपाल ने वर्ष 1984 में दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक त्रासदी झेली, जिसमें हजारों लोग काल के गाल में समा गए थे और लाखों ल

जब किसान समृध्द होगा तभी देश समृध्द होगा

किसान

आज विश्व में कैन्सर, ब्लड, प्रेशर, हार्ट अटैक, मानसिक रोग, लीवर, किडनी की बीमारी, त्वचा रोग बढ रहे है। इससे साबित हो चुका है सब बीमारियों के मूल में रासायनिक उर्वरक , रासायनिक दवा और दूषित दवा है। इस लक्ष्य से भारत के किसानों को अपनी खेती (कृषि) को बेहतर करने के लिए अपने ऋषियों और पूर्वजों के द्वारा बताई गई ऋषि-कृषि पध्दति को अपनाना चाहिए। इससे दीर्घ कालीन अधिकतम कृषि उत्पादन होता है।

Pages