'खेत में मेढें बनाकर लगायें सूरजमुखी'

सूरजमुखी

किसान सूरजमुखी की फसल की बिजाई 15 फरवरी से शुरू कर सकते है तथा इसकी बिजाई खेत में छींटा न देकर मेढों पर लगाना अति लाभदायक रहता है। उल्लेखनीय है कि जिले भर में धान और गेहूं की पारंपरिक खेती होती है। इसके अलावा मटर, चना, आलू, गन्ना, तोरिया आदि की खेती पर भी किसान निर्भर रहता है।

कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो इन फसलों को उगाने वाले किसानों के खेत मटर, चना, आलू, गन्ना, तोरिया आदि की फसलों को उगाने के बाद खेत फरवरी के अन्त या फिर मार्च के शुरू में खाली हो जाते हैं। इसके बाद खेत खाली रहते हैं, पिछले कई सालों से जिले के किसानों ने इन खाली पड़े खेतों में सूरजमुखी की खेती कर आर्थिक रूप से सुदृढ़ होने लगे हैं। इस क्षेत्र में काफी हैक्टेयर सूरजमुखी की फसल किसानों द्वारा उगाई जाती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए आजकल किसानों द्वारा सूरजमुखी फसल की बिजाई की तैयारिया की जा रही है। किसानों द्वारा गन्ना काटने, आलू उखाड़ने व तोरिया काटने के उपरात खाली हुए खेतों में सूरजमुखी फसल की बिजाई की जानी है। इसके लिए किसानों द्वारा बीज की खरीददारी व खेत को तैयार करना शुरू कर दिया गया है।

खंड कृषि अधिकारी बराड़ा पीएस संधू ने बताया कि सूरजमुखी की फसल की बिजाई का सही समय 15 फरवरी से 10 मार्च के मध्य होता है। किसानों को इस समय अवधि में ही बिजाई करनी चाहिए। फसल 95 से 100 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। ऐसे में यह फसल कम समय में अच्छा उत्पादन देती है। इससे आर्थिक लाभ तो होता ही है साथ ही इसका उपयोग स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। 10 मार्च के बाद सूरजमुखी की बिजाई करने पर जहा उत्पादन में कमी आती है वहीं साथ ही उस खेत में धान की रोपाई भी लेट हो जाती है। इसी वजह से न तो किसान सूरजमुखी और न ही धान का अच्छा उत्पादन ले पाता है। उन्होंने बताया कि किसान सूरजमुखी की बिजाई छींटे के माध्यम से न करे बल्कि खेत में मेंढे बनाकर उस पर लगायें। मेढों पर सूरजमुखी की बिजाई करने से उत्पादन बढ़ता है तथा अधिक वर्षा होने से सूरजमुखी की फसल को कोई हानि नहीं होती। पीएस संधू के अनुसार किसान प्रति एकड़ में डेढ़ से दो किलो सूरजमुखी का बीज लगायें तथा बोआई का सर्वोत्तम समय फरवरी के दूसरे पखवारे से लेकर मार्च का प्रथम सप्ताह है। फसल मई के अंत तक अथवा जून के प्रथम सप्ताह तक पककर तैयार हो जाती है। सूरजमुखी की बीजाई लाइन में लगभग 60 सेमी तथा पौधों के बीज की दूरी 20 सेमी होनी चाहिए। बीजाई के 20 से 25 दिन के बाद निराई कर अतिरिक्त पौधों को बाहर निकाल देना चाहिए। इसकी पहली सिंचाई के समय बीस किलो नाइट्रोजन व 40 किलो फास्फोरस अवश्य डालें। सूरजमुखी की फसल को चार से छह सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। ध्यान रहे कि बीज बनते समय खेत में पर्याप्त नमी का होना जरूरी है तथा 20 किलोग्राम नाइट्रोजन फसल के मध्य अवधि में जरूर डालें। खण्ड कृषि अधिकारी संधू ने बताया कि सूरजमुखी की फसल में कोई च्यादा कीटनाशक दवाईयों की आवश्यकता नहीं होती सिर्फ जब सूरजमुखी में फूल आता है तब फूल न गले इसके लिए प्रति एकड़ 100 ग्राम डाईथेम एम 45 का स्प्रे अवश्य करे। किसान इस प्रकार सूरजमुखी की बिजाई कर भारी मुनाफा कमा सकते है।

साभार जागरण