गन्ना के साथ करें सहफसली खेती

गन्ना के साथ करें सहफसली खेती

 धामपुर शुगर मिल की ओर से निकाली जा रही मानसून गन्ना बुवाई जागरूकता रैली के माध्यम से किसानों को सहफसली गन्ना खेती के लाभों से अवगत कराया गया। 
रैली के नूरपुर शहीद तिराहा पर पहुंचने पर मिल के वरिष्ठ गन्ना उपप्रबंधक ओपी वर्मा ने कहा कि ट्रैंच विधि से गन्ना बुवाई करने के बाद गन्ने के बीच में दलहन, तिलहन एवं आलू बोकर किसान अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। गन्ना बोते समय दो गूलों के बीच की दूरी तीन से साढ़े चार फीट रखने पर पौधे में प्रकाश संश्लेषण सही तरीके से होता है, जिससे गन्ना लंबा और मोटा होता है, जिससे गन्ने के जितने पौधे उगते हैं, वह शत प्रतिशत जीवित रहते हैं। ट्रैंच विधि से गन्ना बोने के बाद सह फसल के रूप में तिलहन, दलहन अथवा आलू बोने से किसान को अतिरिक्त आय भी होती है। 
बरेली में मीरगंज के निवासी चौधरी जबर पाल सिंह जो गन्ने के एक बड़े किसान हैं गन्ने उत्पादन में उत्तर प्रदेश के अव्वल दर्जे पर है उन्होंने भी अपने यह गन्ने में सरसों की बुबाई की है ।
जबर पाल जी बताया कि मानूसन के समय बोए गए गन्ने की पैदावार बसंतकालीन गन्ने की अपेक्षा डेढ़ गुणा ज्यादा होती है। तिलहन, दलहन, आलू को बोने से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और जमीन को अतिरिक्त नाइट्रोजन मिलती है।
किसानों के बीच उन्होंने ट्रेंच विधि का प्रचार प्रसार किया है।लोगों का उत्पादन भी बड़ा है।