जीएम बैगन के बाद अब सरसों के विरोध किसान संगठन

जीएम बैगन के बाद अब सरसों के विरोध

 

जेनेटिक माडिफाइड (जीएम) सरसों का मामला जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रेजल कमेटी (जीईएसी) के पास विचाराधीन है। सूत्रों का कहना है कि इस कमेटी की बैठक दिवाली के बाद कभी भी हो सकती है। जीएम फसलों के खिलाफ सिविल सोसाइटीज ने पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर अपनी आपत्तियों से उन्हें अवगत कराया है। आधुनिक प्रौद्योगिकी वाली फसल की खामियों पर चिंता जताते हुए जीएम मुक्त भारत अभियान की प्रमुख कविता कुरुंगटि ने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि सरकार को जनविरोधी फैसले नहीं लेने चाहिए।

जावड़ेकर को लिखे पत्र में कहा गया है कि तिलहन उत्पादन की समस्याएं सिर्फ पैदावार से नहीं जुड़ी हैं, बल्कि सरकारी नीतियों की वजह से उत्पादन घटा है। इस समस्या का समाधान गलत तकनीक से नहीं किया जाना चाहिए। उनका तर्क है कि जीएम बैगन के साथ उठाई गई आपत्तियां सरसों के साथ भी है। इसलिए इसे हरी झंडी नहीं मिलनी चाहिए। उनके समर्थन में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदास ने भी एक पत्र स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को लिखा है।

देश में खाद्य तेलों की भारी कमी को पूरा करने के बारे में उनका कहना है कि इसके लिए सरकार की नीतियां दोषी हैं। किसानों के लिए उपयुक्त माहौल और तकनीक उपलब्ध नहीं कराई गई है। सरसों सत्याग्रह के आयोजक अभिषेक जोशी का कहना है कि सरसों उत्पादक राज्य राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने जीएम सरसों के फील्ड ट्रायल से मना कर दिया है। ऐसे में इसे मंजूरी नहीं मिलनी चाहिए।

तथ्य यह है कि देश में गैर खाद्य फसल बीटी कॉटन की खेती की अनुमति है। कॉटन के मामले में देश न सिर्फ आत्मनिर्भर हुआ है, बल्कि निर्यातक देशों में शुमार हो गया है। इसे देखते हुए सरकार जीएम सरसों को भी हरी झंडी दिखा सकती है। इसी आशंका के मद्देनजर जीएम फसल के विरोधी संगठनों की आवाज मुखर होने लगी है।

जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती को मंजूरी के लिए जेनेटिक इंजीनियरिग अप्रेजल कमेटी के पास पहुंची दरखास्त के खिलाफ देशभर की 400 संस्थाएं एकजुट हो गई हैं। इन संस्थाओं ने जीएम सरसों के खिलाफ सत्याग्रह मोर्चा खोल दिया है।

खेती विरासत मिशन, कुदरत मानव केंद्रित लोक लहर, पंजाबी सथ, पंजाबी जागृति मंच, इंटरनेशनल डेमोक्रेटिक प्लेटफार्म, पंजाब ईको फ्रेंडली एसोसिएशन, पीपुल्स फार एनीमल, मिशन आगाज अमृतसर, नेचुरल फार्मिंग एसोसिएशन ऑफ पंजाब, भारत जन विज्ञान जत्था, इंडियन डॉक्टर फॉर पीस एंड डवलपमेंट व समाज बचाओ मोर्चा जैसी संस्थाएं शामिल हैं। इसकी मंजूरी देने के खिलाफ 10 दिसंबर को जिला मुख्यालयों पर संस्थाएं मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के नाम मांग पत्र सौंपेंगी।

खेती विरासत मिशन के निदेशक उमेंद्र दत्त ने कहा कि सरसों का तेल भोजन में प्रयोग किया जाता है। पंजाब में सरसों का साग खाने का प्रचलन है, सरसों की खल को दुधारू पशुओं को खिलाया जाता है। अगर इसे मंजूरी मिल जाती है तो यह सरसों सीधा हमारी खुराक का हिस्सा बन जाएगी। पूरी दुनिया में इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि जीएम फसल खाने के लिए सुरक्षित है या नहीं। ऐसे में केंद्र व प्रदेश सरकार इन सभी खतरों पर आंखें मूंदते हुए इसे मंजूरी देने पर तुली हैं।

किसान नेताओं ने भी किया विरोध

किसान यूनियन सिद्धूपुर के प्रधान पिशौरा सिंह सिद्धूपुर ने कहा कि जेनेटिक फसलें किसानों से बीज छीनने की साजिश है। किसान यूनियन इसका पुरजोर विरोध करेगी।

kisanhelp के संरक्षक राधा कान्त जी ने भी जेनेटिक माडिफाइड (जीएम) फसलों को किसानों के लिए घाटे का सौदा बताया उन्होंने कहा की ऐसी फसलों से किसान हित नही बल्कि किसानों का नुकसान हो रहा है साथ ही उन्होंने किसानों और सरकार से निवेदन किया किया कि  जी.एम्. फसलों पर तुरंत ही रोक लगनी चाहिए क्योंकि निकट भबिष्य में इसके हानिकारक परिणाम देखने को मिलेंगे