नई कृषि बीमा योजना सरकार तैयार कर रही है :वित्तमंत्री अरुण जेटली

केंद्र सरकार किसानों के लिए एक नई कृषि बीमा योजना तैयार रही है। इसमें कृषि ऋण सहित खेती में लगने वाली सभी लागतों का समावेश होगा। यह बात केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को नाबार्ड के 34वें स्थापना दिवस समारोह के उद्घाटन के दौरान कही।

वित्तमंत्री ने कहा कि भारत में 85 फीसद किसान छोटे एवं सीमांत हैं। उनकी उत्पादन क्षमता बहुत कम है। ऐसे में अधिक लागत, सिंचाई साधनों की कमी, ऋण की समस्या, मौसम के दुष्प्रभाव एवं उचित बीमा योजना न होने से उनकी समस्याएं और बढ़ जाती हैं।

जेटली के अनुसार हाल ही में इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशन्स (आइसीआरआइईआर) में कृषि के लिए इन्फोसिस चेयर प्रोफेसर डॉ. अशोक गुलाटी ने वित्त मंत्रालय को कृषि बीमा से संबंधित एक प्रस्ताव दिया है। इसमें एक से अधिक कारणों से प्रभावित होने की स्थिति में किसान अपनी आधारभूत लागत बीमा के जरिये वापस पा सकेगा।

अभी लागू बीमा योजनाओं में किसान बैंक से लिए गए ऋण का भी भुगतान पाने का अधिकारी होता है। इसी समारोह में बोलते हुए रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एचआर खान ने भी स्वीकार किया कि सरकार किसानों के लिए नई कृषि बीमा नीति पर विचार कर रही है और रिजर्व बैंक ने भी इस संबंध में अपने विचार उसे भेजे हैं।

सिंचाई व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत

जेटली ने ग्रामीण क्षेत्र में आधारभूत ढांचा मजबूत करने पर जोर देते हुए कहा कि सिर्फ बरसात पर निर्भर कृषि क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था मजबूत करने की जरूरत है। मध्यप्रदेश का उदाहरण देते हुए जेटली ने कहा कि वहां सिंचाई व्यवस्था सुधारने का लाभ अब राज्य के किसानों को मिलने लगा है।

यह उदाहरण दूसरे राज्यों के लिए भी उपयोगी हो सकता है। जेटली के अनुसार सरकार अगले पांच सालों में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर 50,000 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। इसके अलावा अतिरिक्त स्त्रोतों से आनेवाली राशि को पुनः ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं एवं सिंचाई के लिए ही उपयोग किया जाएगा

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