निर्यात में बाधा बन रहे रासायनिक तत्व

निर्यात में बाधा बन रहे रासायनिक तत्व

बढ़ते रासायनिक तत्वों के उपयोग से अनाज और फल-सब्जियों की गुणवत्ता पर असर दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि विदेशों में अधिकांश मात्रा में उत्पाद निर्यात नहीं हो पा रहा है। विदेशों में अन्य देशों से कृषि उत्पाद खरीदने के लिए अपने अलग-अलग मापदंडड तय किए हैं। इन्हीं मापदंडों को पूरा कर हम यहां के उत्पाद को निर्यात कर सकते हैं। इसके लिए किसान को रासयनिक तत्वों का निर्धारित मात्रा में उपयोग करना होगा।

यह बात कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपिडा) के असिस्टेंट जनरल मैनेजर डॉ. सीबी सिंह ने सेमिनार में कही। कृषि विज्ञान केंद्र में उद्यानिकी विभाग के सहयोग से हुए इस सेमिनार में 29 जिलों के जिला उद्यानिकी अधिकारी तथा खंडवा, खरगोन, धार व बड़वानी के करीब 50 कृषक भी मौजूद थे।

7 किसानों ने कराया पंजीयन

डॉ. सिंह ने कहा कि किसान निर्यात मापदंडों को ध्यान में रखकर बेहतर उत्पादन कर सकते हैं। इसके लिए पेस्टिसाइड फ्री जोन बनाना चाहिए। निर्यात के लिए कृषक ऑनलाइन पंजीयन कर सकते हैं। यही नहीं देशभर में निर्यात व कृषकों का डाटा भी उपलब्ध है। प्रोडक्ट के लेबल को देखकर एक क्लिक पर किसान व खेत तक की जानकारी प्राप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष अब तक प्रदेश में धार जिले के निसरपुर के 7 किसानों ने पंजीयन कराया है। उन्होंने एपिडा के कार्य, प्रक्रिया, मापदंड, टेस्टिंग, अनुदान आदि की जानकारी दी। निर्यातक एसोसिएशन मुंबई के वाइस प्रेसिडेंट इकराम हुसैन ने कहा- निमाड़ से कृषि उत्पादों के निर्यात की बहुत संभावनाएं हैं। कृषकों को इस दिशा में जागरूक होने की जरूरत है।

पैक हाउस बनने पर बढ़ेगा निर्यात

प्लांट प्रोटेक्शन ऑफिसर (इंदौर) डॉ. स्नेहा गुप्ता ने बताया कि योरपीयन देशों में करेला, परवल सहित कुछ अन्य उत्पादों को नार्म्स पूरे नहीं करने पर प्रतिबंधित किया था। हमें क्वालिटी पर ध्यान रखना होगा। उन्होंने बताया कि इंदौर जोन में पैक हाउस नहीं होने से पर्याप्त मात्रा में फल-सब्जियां निर्यात नहीं हो पा रही हैं। उन्होंने एक्सपोर्ट के लिए क्वालिटी कंट्रोल, सेंपलिंग, रजिस्ट्रेशन की जानकारी दी। उद्यानिकी विशेषज्ञ एसके त्यागी ने अनार की खेती की जानकारी दी। टेस्टिंग लेब के अधिकारियों ने भी टेस्टिंग प्रक्रिया समझाई। उन्नात कृषक दीपक गोयल आदि ने अनार, मिर्च व टमाटर के निर्यात की जानकारी ली।

जैविक खेती को मिल रहा बढ़ावा

कार्यशाला के पूर्व कलेक्टर अशोक वर्मा ने कहा कि सरकार ने अगले पांच वर्षों में कृषि उत्पादन दोगुना करने का प्रयास किया जाएगा। जिले में जैविक खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कृषि उत्पादों की ग्रेडिंग कर अधिक लाभ कमाने की बात कही। इसी प्रकार संयुक्त संचालक उद्यानिकी एमएल नागर, सहायक संचालक उद्यानिकी वीएस गुर्जर, सह संचालक अनुसंधान डॉ. एमएल शर्मा, उपसंचालक कृषि सीएल केवड़ा आदि मौजूद थे। कुछ अधिकारी कार्यशाला के दौरान झपकी लेते नजर आए तो कुछ पूरे समय उपस्थित नहीं रहे। संचालन राजकुमार शर्मा ने किया।

साभार  अमर उजाला