फसल में बन रहा है दाना, नमी जरूर बनाएं रखें

फसल में बन रहा है दाना,  नमी जरूर बनाएं रखें

धान की फसल पिछले वर्ष कम बारिश से सूख रही थी और इस बार तो बर्बाद हुई जा रही है। पानी इस समय फसलों के लिए इस लिए भी अहम है क्योंकि धान, मक्का व तिलहन सभी फसलेें पुष्पन अवस्था में पहुंच रही हैं। ऐसे में यदि पानी न मिला तो फसलों में दाना नहीं बनेगा और उत्पादन बहुत ज्यादा प्रभावित हो सकता है।  इस समय धान में दुग्धावस्था चल रही है ऐेसे में अगर नमी की कमी हुई तो धान में दाने नहीं भर पाएंगे

सूखे के हालात बनने से इस क्षेत्र के किसान पम्पिंग सेटों के सहारे धान की फसल को बचाने में जुटे हैं। यदि एक सप्ताह और बारिश नहीं हुई तो एक चौथाई फसल या तो खराब हो जायेगी या तो उत्पादन बहुत कम हो जाएगा।

इस वर्ष मॉनसून में वर्षा की जितनी कमी रही है उसका पूरा हो पाना अब आखिरी के महीनों में संभव नहीं। समाचार चैनल एनडीटीवी को दिए गए साक्षात्कार में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष  ने कहा, ”देश भर में जिनती भी वर्षा की कमी अब तक हो चुकी है, अब इतनी वर्षा नहीं होने वाली कि मॉनसून खत्म होते-होते ये कमी एकदम खत्म हो जाए

धान में बाली निकलते समय नत्रजन एवं खानिजों का छिड़काव करें

देश भर के कृषि वैज्ञानिकों ने भाग लेकर मॉनसून की परिस्थियों को देखते हुए मंथन कर, कृषि सुझाव जारी किए हैं।

  • शुष्क वातावरण की स्थिति को देखते हुए खाद्यान्न, दलहनी एवं तिलहनी फसलों में सिंचाई कर नमी बनाये रखें।
  • धान में कल्ले व बाली निकलने की अवस्था में खेत में नमी अवश्य बनाये रखें। नत्रजन की चौथाई मात्रा यूरिया का छिड़काव करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि छिड़काव करते समय खेत में पर्याप्त नमी उपलब्ध हो।
  • धान व अन्य खरीफ फसलों में जल उपयोग क्षमता बढ़ाने के लिये खरपतवार नियंत्रण पर विशेष ध्यान दें।
  • वातावरण में तापक्रम एवं आद्रता की अधिकता रहने से रोग एवं कीट प्रभावी होंगे अत: कीट नियंत्रण हेतु पर्यावरण हितैशी उपायों जैसे प्रकाश-प्रपंच, बर्ड पर्चर, फेरोमोन ट्रैप, ट्राइकोग्रामा तथा रोग नियंत्रण हेतु ट्राइकोडर्मा का प्रयोग करें। कीट एवं रोग नियंत्रण हेतु कीटनाशी रसायनों का प्रयोग जब कोई उपाय न बचे तब ही करेंं।
  • जिन क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा नहीं हुई है, वहां के सब्जी उत्पादकों को सलाह दी जाती है कि वे अल्प अवधि एवं कम पानी में भी अच्छी उपज प्राप्ति हेतु पालक, मूली, गाजर, शलजम, चुकन्दर, मेथी व धनिया आदि की खेती करें।
  • तोरिया, सब्जी मटर तथा आलू के बीज की व्यवस्था सुनिश्चित करें ताकि पर्याप्त नमी की दशा में समय पर बुवाई कर सकें।
  • अरहर में पत्ती लपेटक का प्रकोप दिखाई देने पर डाईमेथोएट 30 ईसी एक लीटर या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 200 मिली प्रति हे. की दर से छिड़काव करें।
  • मूंगफली में टिक्का रोग लगने का समय है अत: सतर्क रहें। प्रकोप होने पर मैंकोजेब (जिंक मैंगनीज कार्बामेट) दो किग्रा या जिनेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 2.4 किग्रा. अथवा जीरम 27 प्रतिशत तरल के तीन लीटर अथवा जीरम 80 प्रतिशत के दो किग्रा. के 2-3 छिड़काव 10 दिन के अन्तर पर करें।

जिन क्षेत्रों में वर्षा सामान्य से कम हुई है वहां जून में रोपी गयी फसल में सूखा के प्रति सहनशीलता बढ़ाने के लिए दो प्रतिशत यूरिया व पोटाश का छिड़काव करें।

 

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