बदले मौसम से रबी फसलों को राहत

बदले मौसम से रबी फसलों को राहत

 मकर संक्रांति के बाद मौसम के बदले मिजाज ने रबी फसलों की आस बढ़ा दी है। पिछले दो दिनों में बढ़ी सर्दी से रबी फसलों को भारी राहत मिली है।मौसम के बिगड़े तेवर का असर रबी फसलों पर पड़ने लगा है।

दिसंबर से मध्य जनवरी तक बढ़ी गरमी ने किसानों के होश उड़ा दिये थे। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात के असिंचित क्षेत्रों में मिट्टी में नमी की कमी के चलते गेहूं की बुवाई नहीं हो पाई है।

कृषि मंत्रालय की ओर से जारी ताजा बुवाई आंकड़ों के अनुसार गेहूं का बुवाई रकबा पिछले साल के मुकाबले 14 लाख हेक्टेयर पीछे है, जबकि दलहन व तिलहन का बुवाई रकबा भी रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। दरअसल गेहूं को छोड़ अन्य सभी फसलों का बुवाई का समय समाप्त हो चुका है। उत्तर प्रदेश के असिंचित क्षेत्र बुंदेलखंड में गेहूं की बुवाई न के बराबर हुई है। राज्य में गेहूं का रकबा साढ़े चार लाख हेक्टेयर कम रहा है। यही हाल गुजरात का है, जहां साढ़े तीन लाख हेक्टेयर कम क्षेत्रफल में गेहूं की बुवाई हुई है। मध्य प्रदेश में भी गेहूं का रकबा सवा तीन लाख हेक्टेयर घटा है।

दलहन फसलों की बुवाई रकबा 3.54 लाख हेक्टेयर कम हुआ है। जबकि तिलहनी फसलों की बुवाई 2.88 लाख हेक्टेयर कम रकबा में हुई है। बुवाई घटने की मुख्य वजह मिट्टी में नमी की कमी और बारिश का न होना बताया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में दलहनी फसलों की खेती होती थी, जहां सूखे की वजह से खेती पांच लाख हेक्टेयर तक कम हुई है। राजस्थान जैसे सरसों उत्पादक राज्य में बुवाई दो लाख हेक्टेयर कम हुई है।

केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह का कहना है कि गेहूं की खेती ज्यादातर सिंचित क्षेत्रों में ही होती है। दिसंबर से जनवरी के पहले सप्ताह तक तापमान औसत से अधिक रहा है, जिसके लिए किसानों को गेहूं फसल की सिंचाई का मशविरा दिया गया था। इससे फसल पर गरम मौसम का असर कम पड़ा।

करनाल स्थित भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान की निदेशक डॉ. इंदु शर्मा ने बताया कि पंजाब व हरियाणा में गेहूं की फसल दिसंबर के अधिक तापमान से निश्चित रूप से दबाव में थी। लेकिन मौसम के हालिया करवट लेने से स्थितियां गेहूं की फसल के अनुकूल हो गई हैं। गेहूं की फसल को फरवरी तक अधिक सर्दी की जरूरत है। शर्मा ने बताया कि पंजाब व हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में रतुआ रोग के प्रकोप की शिकायत मिली है। इसके लिए किसानों को उचित कीटनाशकों के छिड़काव की सलाह दी गई है।