बूंद-बूंद पानी को तरस रहे खेत

बूंद-बूंद पानी को तरस रहे खेत

बूंद-बूंद पानी को तरस रहे खेत एक तो तपती गर्मी ऊपर से लड़खड़ाती विद्युत व्यवस्था ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। सूखे पड़े खेत पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। नहरें-बंबे सूखे पड़े हैं। ट्यूबवेल बंद पड़े हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतापूर्ति के नाम पर तो सिर्फ दिखावा है। आपूर्ति न होने से किसान खेतों की ¨सचाई करने के लिए तरस रहे है। मई में पड़ रही रिकार्ड तोड़ गर्मी ऊपर से विद्युत की आंख-मिचौली शहरी ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का जीना मुहाल किए हुए है। विद्युतापूर्ति व्यवस्थित न होने से जहां एक ओर शहर के वा¨शदों को गर्मी, पानी के चलते परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर ग

सर्पगन्‍धा की खेती

सर्पगन्धा एपोसाइनेसी परिवार का द्विबीजपत्री, बहुवर्षीय झाड़ीदार सपुष्पक और महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है। इस पौधे का पता सर्वप्रथम लियोनार्ड राल्फ ने 1582 ई. में लगाया था। भारत तथा चीन के पारंपरिक औषधियों में सर्पगन्धा एक प्रमुख औषधि है। भारत में तो इसके प्रयोग का इतिहास 3000 वर्ष पुराना है। सर्पगन्धा के पौधे की ऊँचाई 6 इंच से 2  फुट तक होती है। इसकी प्रधान जड़ प्रायः 20 से. मी.

खेती करना अब नहीं रहा लाभकारी पेशा: संसदीय समिति

कृषि के हालात के प्रति चिंता जताते हुए संसद की एक समिति ने कहा कि यह क्षेत्र अब लाभप्रद पेशा नहीं रह गया है। समिति ने सरकार से इसे अधिक लाभप्रद बनाने को कहा है। भाजपा के सांसद हुकुमदेव नारायण यादव की अगुवाई वाले कृषि मामले की स्थायी समिति ने कहा कि लघु एवं सीमांत किसानों की हालत दयनीय है और समिति ने सरकार को इस क्षेत्र के लिए वित्तीय आवंटन बढ़ाने का सुझाव दिया है। 

मन, विचार और कर्म में सूखा

मन, विचार और कर्म में सूखा

चार सदी पहले ही लोककवि 'घाघ" कह गए थे कि 'खेत बेपनियां जोतो तब, ऊपर कुंआ खुदाओ जब", यानी किसान पहले कुंआ खोदे (यानी सिंचाई का समुचित इंतजाम कर ले), फिर उसके बाद ही खेत को जोते। तब गंगा, जमुना, गोदावरी, सिंधु, कावेरी जैसी नदियों में भी साफ शीतल जल छलकता था और दूरदराज के इलाकों में भी कुंआ खोदते ही पानी मिल जाया करता था। लेकिन आजादी के बाद जब किसान उत्पादक के बजाय महज एक वोट बैंक बन गया तो चुनाव-दर-चुनाव हर राजनीतिक पार्टी किसानों को मुफ्त बिजली-पानी देने के वादे करने लगी। जल कभी भी भुनाया जा सकने वाला चेक है, ऐसा मान लिए जाने से आदतें और बिगड़ गईं।

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