लीची

लीची जिसे वैज्ञानिक नाम (Litchi chinensis) से बुलाते हैं, जीनस लीची का एकमात्र सदस्य है। इसका परिवार है सोपबैरी। यह ऊष्णकटिबन्धीय फ़ल है, जिसका मूल निवास चीन है। यह सामान्यतः मैडागास्कर, भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, दक्षिण ताइवान, उत्तरी वियतनाम, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका में पायी जाती है।

Flowers at Samsing in Darjeeling district of West Bengal, India.
इसका मध्यम ऊंचाई का सदाबहार पेड़ होता है, जो कि 15-20 मीटर तक होता है, ऑल्टर्नेट पाइनेट पत्तियां, लगभग 15-25 सें.मी. लम्बी होती हैं। नव पल्लव उजले ताम्रवर्णी होते हैं और पूरे आकार तक आते हुए हरे होते जाते हैं। पुष्प छोटे हरित-श्वेत या पीत-श्वेत वर्ण के होते हैं, जो कि 30 सें.मी. लम्बी पैनिकल पर लगते हैं। इसका फल ड्रूप प्रकार का होता है, 3-4 से.मी. और 3 से.मी व्यास का। इसका छिलका गुलाबी-लाल से मैरून तक दाने दार होता है, जो कि अखाद्य और सरलता से हट जाता है। इसके अंदर एक मीठे, दूधिया श्वेत गूदे वाली, विटामिन- सी बहुल, कुछ-कुछ छिले अंगूर सी, मोटी पर्त इसके एकल, भूरे, चिकने मेवा जैसे बीज को ढंके होती है। यह बीज 2X1.5 नाप का ओवल आकार का होता है और अखाद्य होता है। इसके फल जिलाई से अक्टूबर में फ़ूल के लगभग तीन मास बाद पकते हैं। इसकी दो उप-जातियां हैं:-

लीची चिनेन्सिस, उपजाति:chinensis, : चीन, इंडोनेशिया, लाओस, कम्बोडिया में। पत्तियां 4-8|
लीची चिनेन्सिस, उपजाति: फिलीपिनेन्सिस: फिलीपींस, इंडोनेशिया, पत्तियां 2-4|चीन के अति प्राचीन काल में तंग वंश के राजा ज़ुआंग ज़ाँग का प्रिय फल था। राजा के पास वह पुष द्रुतगामी अश्वों द्वारा पहुंचाया जाता था, क्योंकि वह केवल दक्षिण चीन के प्रांत में ही उगता था। लीची को पश्चिम में पियरे सोन्नेरैट द्वारा प्रथम वर्णित किया गया था (1748-1814) के बीच, उनकी दक्षिण चीन की यात्रा से वापसी के बाद। सन 1764 में इसे रियूनियन द्वीप में जोसेफ फ्रैंकोइस द पाल्मा द्वारा लाया गया और बाद में यह मैडागास्कर में आयी और वह इसका का मुख्य उत्पादक बन गया।

लीची की खेती

लीची (लीची चिनेंसिस) गर्मियों का उत्कृष्ट गुणवत्ता वाला एक स्वादिष्ट और रसदार फल है, जो लगभग सभी उम्र के लोगों के द्वारा पसंद किया जाता है। वानस्पतिक रूप से यह सैपिन्डाइसी कुल का सदस्य है। पारभासी, सुगंधित, स्वाद से भरपूर गूदा वाली लीची भारत में ताजे फल के रूप में लोकप्रिय है, जबकि चीन और जापान में इसे सूखे या डिब्बाबंद रूप में ज्यादा पसंद किया जाता है।

लीची के पेड़ों में इस समय लग सकते हैं ये कीट

लीची एक फल के रूप में जाना जाता है। जिसे वैज्ञानिक नाम लीची चाइनेन्सिस से बुलाते है। इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। इसके अलावा प्रोटीन, खनिज पदार्थ, फास्फोरस, चूना, लोहा, रिबोफ्लेविन तथा विटामिन-सी इत्यादि पाये जाते हैं। इसका उपयोग डिब्बा बंद, स्क्वैश, कार्डियल, शिरप, आर.टी.एस., लीची नट इत्यादि बनाने में किया जाता है।

 

पत्ती भेदक कीट (सूंडी)

यह कीट चांदी के रंग की तरह चमकदार दिखता है. यह देखने में बड़े आकर का भी होता है. यह कीट पत्तियों के बाहरी किनारे को खाता है, जिससे पत्तियां दोनों किनारे से कटी हुई दिखाई देती हैं.

लीची कीउन्नत आर्गनिक खेती

लीची एक फल के रूप में जाना जाता है, जिसे वैज्ञानिक नाम से बुलाते हैं, जीनस लीची का एकमात्र सदस्य है। इसका परिवार है सोपबैरी। यह ऊष्णकटिबन्धीय फ़ल है, जिसका मूल निवास चीन है। यह सामान्यतः मैडागास्कर, भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, दक्षिण ताइवान, उत्तरी वियतनाम, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका में पायी जाती है।

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