कृषि

कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से संबंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है (इससे संबंधित अभ्यास बागवानी का अध्ययन होर्टीकल्चर में किया जाता है)।

तकनीकों और विशेषताओं की बहुत सी किस्में कृषि के अन्तर्गत आती है, इसमें वे तरीके शामिल हैं जिनसे पौधे उगाने के लिए उपयुक्त भूमि का विस्तार किया जाता है, इसके लिए पानी के चैनल खोदे जाते हैं और सिंचाई के अन्य रूपों का उपयोग किया जाता है। कृषि योग्य भूमि पर फसलों को उगाना और चारागाहों और रेंजलैंड पर पशुधन को गड़रियों के द्वारा चराया जाना, मुख्यतः कृषि से सम्बंधित रहा है। कृषि के भिन्न रूपों की पहचान करना व उनकी मात्रात्मक वृद्धि, पिछली शताब्दी में विचार के मुख्य मुद्दे बन गए। विकसित दुनिया में यह क्षेत्र जैविक कृषि (उदाहरण पर्माकल्चर या कार्बनिक कृषि) से लेकर गहन कृषि (उदाहरण औद्योगिक कृषि) तक फैली है।

आधुनिक एग्रोनोमी, पौधों में संकरण, कीटनाशकों और उर्वरकों और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है और साथ ही यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक क्षति का कारण भी बना है और इसने मनुष्य के स्वास्थ्य पर ऋणात्मक प्रभाव डाला है। चयनात्मक प्रजनन और पशुपालन की आधुनिक प्रथाओं जैसे गहन सूअर खेती (और इसी प्रकार के अभ्यासों को मुर्गी पर भी लागू किया जाता है) ने मांस के उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इससे पशु क्रूरता, एंटीबायोटिक दवाओं के स्वास्थ्य प्रभाव, वृद्धि होर्मोन और मांस के औद्योगिक उत्पादन में सामान्य रूप से काम में लिए जाने वाले रसायनों के बारे में मुद्दे सामने आये हैं।

प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर भोजन, रेशा, ईंधन, कच्चा माल, फार्मास्यूटिकल्स और उद्दीपकों में समूहित किया जा सकता है। साथ ही सजावटी या विदेशी उत्पादों की भी एक श्रेणी है। 2000 से, पौधों का उपयोग जैविक ईंधन, जैवफार्मास्यूटिकल्स, जैवप्लास्टिक, और फार्मास्यूटिकल्स के उत्पादन में किया जा रहा है। विशेष खाद्यों में शामिल हैं अनाज, सब्जियां, फल और मांस। रेशे में कपास, ऊन, सन, रेशम और फ्लैक्स शामिल हैं। कच्चे माल में लकड़ी और बाँस शामिल हैं। उद्दीपकों में तंबाकू, शराब, अफीम, कोकीन और डिजिटेलिस शामिल हैं। पौधों से अन्य उपयोगी पदार्थ भी उत्पन्न होते हैं, जैसे रेजिन। जैव ईंधनों में शामिल हैं बायोमास से मेथेन, एथेनोल और जैव डीजल।कटे हुए फूल, नर्सरी के पौधे, उष्णकटिबंधीय मछलियाँ और व्यापार के लिए पालतू पक्षी, कुछ सजावटी उत्पाद हैं।

2007 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि, औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद से कृषि से सम्बंधित महत्त्व कम हो गया है और 2003 में-इतिहास में पहली बार-सेवा क्षेत्र ने एक आर्थिक क्षेत्र के रूप में कृषि को पछाड़ दिया क्योंकि इसने दुनिया भर में अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। इस तथ्य के बावजूद कि कृषि दुनिया के आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की रोजगार उपलब्ध कराती है, कृषि उत्पादन, सकल विश्व उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद का एक समुच्चय) का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनता है

छोटे किसानों तक पहुंचे ऋण की सुविधा: पटनायक

किसानों तक पहुंचे ऋण की सुविधा

 केंद्रीय कृषि सचिव ने कहा कि पिछले वर्ष किसान आत्महत्या की रिकॉर्ड संख्या का एक कारण, कृषि ऋण का लाभार्थियों तक न पहुंच पाना तथा स्थानीय साहूकारों द्वारा ऊंचे ब्याज दर पर ऋण दिया जाना भी रहा है।

कृषि सचिव शोभना के पटनायक ने राज्यों से कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाये जायें कि कृषि ऋण की सुविधा लघु और सीमांत किसानों तक पहुंचे।

मार्च 2017 तक हर किसान के पास होगा मृदा स्वास्थ्य कार्ड

मार्च 2017 तक हर किसान के पास होगा मृदा स्वास्थ्य कार्ड

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि देश में सभी किसानों को अगले साल तक मृदा स्वास्थ्य कार्ड मुहैया करा दिया जाएगा। 

कृषि मंत्री ने कहा कि यूरिया और कीटनाशकों के ज्यादा इस्तेमाल के चलते ज़मीन का स्वास्थ्य बिगड़ गया है। इसके निदान के लिए सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की है।

उन्होंने बताया कि इस योजना में राज्यों का सहयोग मिल रहा है और मिट्टी की जांच की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि पहले देश भर के किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड तीन साल में उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया था लेकिन बाद में इस लक्ष्य को घटा कर दो साल कर दिया गया।

कृषि क्षेत्र में और ज्यादा छाएगा संकट

कृषि क्षेत्र में और ज्यादा छाएगा संकट

किसानों के लिए आफत पर आफत ही आ रही हैं एक तरफ किसान पिछले कई वर्षों से घाटे में जाता जा रहा है ऊपर से मौसम की मार किसान की कमर तोड़ देती है यदि फसल ठीक थक कर भी ले तो उसे उचित दाम न मिलनें के कारण परेशान रहता है अभी  नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने आज आगाह किया कि देश के कृषि क्षेत्र का संकट 2016-17 में और गहराएगा। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर जिंस बाजार असामान्य तरीके से व्यवहार कर रहा है और यदि वैश्विक जिंस कीमतों में गिरावट का रुख जारी रहता है, तो देश का कृषि क्षेत्र और संकट में आ जाएगा। उन्होंने निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने, जमीन पट्टा नीति में सुधार और आसान बाजार पहुंच की वकालत करत

पूसा कैंपस में पीएम मोदी ने किया कृषि मेले का उद्घाटन

पूसा कैंपस में पीएम मोदी ने किया कृषि मेले का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कृषि उन्नति मेले का उद्घाटन किया। यह मेला राजधानी के पूसा कैंपस में आयोजित हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा है कि भारत का भाग्य गांव और किसानों का भाग्य बदले जाने के बाद ही संभव है। उन्होंने कहा कि दूसरी कृषि क्रांति की जरूरत है और ये क्रांति विज्ञान के सहारे लाई जा सकती है। उन्होनें कहा कि कई राज्य ऐसे हैं, जहां कृषि पर थोड़ा ध्यान देने से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।

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