खेतिहर मजदूर

 खेती करने वाले लाखों की किसान अब मजदूर बन कर रह गये हैं. 2001 की जनगणना में जहां कुल कामकाजी लोगों में किसानों की जनसंख्या 44.54 प्रतिशत थी, वह 2011 में घट कर 32.88 प्रतिशत रह गई है. इसके उलट खेतिहर मजदूरों की जनसंख्या आश्चचर्यजनक रुप से बढ़ गई है. 2001 में कुल कार्मिकों में 31.94 प्रतिशत जनसंख्या खेतिहर मजदूरों की थी. 2011 में इसमें चिंताजनक बढ़ोत्तरी हुई है और यह 41.80 प्रतिशत तक जा पहुंची है.

लॉकडाउन का खामियाजा किसानों पर भारी, तैयार फसल को काटने के लिए नही मिल रहे मजदूर

लॉकडाउन का खामियाजा किसानों पर भारी, तैयार फसल को काटने के लिए नही मिल रहे मजदूर

कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन का खामियाजा उन किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है जिनकी पूरी खेती ही मजदूरों के भरोसे है। कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया को बड़ा आर्थिक नुकसान होने वाला है। कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से देश-दुनिया को आर्थिक मंदी का भी सामना करना पड़ सकता है। कोरोना वायरस का गंभीर परिणाम देश के किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है। गांवों की हालत ऐसी हो गई है कि ग्वाला लोगों से दूध नहीं खरीद रहा है, क्योंकि मिठाई की दुकानें बंद होने से दूध की सप्लाई नहीं हो रही है। कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन का खामियाजा उन किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है जिनकी पूरी खेती ही मजदूरों के

छत्तीसगढ़ की 40 तहसीलों में सूखे के हालात

छत्तीसगढ़ की 40 तहसीलों में सूखे के हालात

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में सूखे की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार को पहली रिपोर्ट भेज दी है। रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई है कि छत्तीसगढ़ के छह जिलों सहित 40 तहसीलों में सूखे के हालात बन रहे हैं। इन तहसीलों में औसत से कम बारिश होने के कारण खरीफ फसल चौपट होने के कगार पर है। धान की बियासी का कार्य भी प्रभावित हो रहा है। समय पर राहत कार्य नहीं खोले गए तो राज्य से खेतिहर मजदूरों का अन्य राज्यों में पलायन हो सकता है।

कृषि कर्ज देने की प्रणाली सरल बनाएं बैंक - राधा मोहन सिंह

कृषि कर्ज देने की प्रणाली सरल बनाएं बैंक - राधा मोहन सिंह

घटते किसान और खेतिहर मजदूर व भूमिहीन किसानों की बढ़ती संख्या गंभीर चिंता का विषय है। इस बड़ी चुनौती से निपटने के लिए बैंकों की भूमिका अहम हो जाती है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि ऐसे में कृषि ऋण देने की प्रणाली को सरल और सहज बनाने की जरूरत है।

किसानों की आमदनी को दोगुना करने की सरकार की मंशा को फलीभूत करने के लिए शुरू की गई योजनाओं पर कारगर अमल शुरू कर दिया गया है। इसमें वित्तीय संस्थानों का दायित्व बहुत बढ़ जाता है।