लॉकडाउन का खामियाजा किसानों पर भारी, तैयार फसल को काटने के लिए नही मिल रहे मजदूर

लॉकडाउन का खामियाजा किसानों पर भारी, तैयार फसल को काटने के लिए नही मिल रहे मजदूर

कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन का खामियाजा उन किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है जिनकी पूरी खेती ही मजदूरों के भरोसे है। कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया को बड़ा आर्थिक नुकसान होने वाला है। कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से देश-दुनिया को आर्थिक मंदी का भी सामना करना पड़ सकता है। कोरोना वायरस का गंभीर परिणाम देश के किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है। गांवों की हालत ऐसी हो गई है कि ग्वाला लोगों से दूध नहीं खरीद रहा है, क्योंकि मिठाई की दुकानें बंद होने से दूध की सप्लाई नहीं हो रही है। कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन का खामियाजा उन किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है जिनकी पूरी खेती ही मजदूरों के भरोसे है। कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया को बड़ा आर्थिक नुकसान होने वाला है। कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से देश-दुनिया को आर्थिक मंदी का भी सामना करना पड़ सकता है। कोरोना वायरस का गंभीर परिणाम देश के किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है। गांवों की हालत ऐसी हो गई है कि ग्वाला लोगों से दूध नहीं खरीद रहा है, क्योंकि मिठाई की दुकानें बंद होने से दूध की सप्लाई नहीं हो रही है। 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की थी, उसके बाद जो जहां पर था, वहीं अटक गया। कुछ लोगों ने पैदल और रिक्शा से पलायन भी किया। 27 मार्च को लॉकडाउन के नियमों में संशोधन हुआ और कृषि कार्य को आवश्यक सेवाओं की सूची में शामिल किया गया, लेकिन शायद संशोधन करने में सरकार की ओर से देरी हो गई। इसी बीच दिल्ली, पंजाब, मुंबई और नागपुर जैसे शहरों में मजदूरी कर रहे मजदूर घबरा गए और गांव के लिए पलायन कर गए। मजदूरों के इस पलायन का सबसे बड़ा नुकसान पंजाब के उन किसानों को हो रहा है जिनकी खेती बिहार और उत्तर प्रदेश के मजदूरों के भरोसे थी। इस वक्त गेहूं की फसलें पक गईं हैं और उन्हें काटने का वक्त निकला जा रहा है लेकिन मजदूरों की कमी के कारण फसल खेत में बर्बाद हो रही है। इसी बीच मौसम का भी डर है, क्योंकि यदि खुदा-ना-खास्ता मौसम का मिजाज बदला और आंधी-तूफान के साथ बारिश हो गई और ओले गिर गए तो किसानों पर आफत का पहाड़ टूट जाएगा।