सूक्ष्मसिंचाई

विगत कुछ वर्षों से देशी व विदेशी मंडियों में फसल के ऊँचे दाम मिलने के कारण पुष्प उत्पादन व्यवसायिक तौर पर निरंतर लोकप्रिय हो रहा है| फसल की पैदवार बढ़ाने तथा गुणवत्ता सुधारने हेतु विशेष सिंचाई पद्धतियों द्वारा जलापूर्ति अति आवश्यक है| हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य पहाड़ी राज्यों में व्याप्त अनुकूल जलवायु परिस्थितियों में कई तरह के व्यवसायिक फूलों की खेती की जा रही है| लेकिन इन क्षेत्रों में एक समान तथा संतुलित वर्षा न होने के कर्ण पर्याप्त सिंचाई हेतु जल की कमी बनी रहती है| ऊपर से परम्परागत सिंचाई पद्धतियों जैसे सतही सिंचाई के इस्तेमाल के दौरान पहले भूमि की ऊपरी सतह तथा फिर अंदर ज्यादा गहराई तक होने वाले बहाव से पानी काफी मात्रा में व्यर्थ ही बह जाता है| इस सन्दर्भ में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति, विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में बहुत ही उपयुक्त है|

सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली

सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली में पानी को धीरे-धीरे तथा विशेष बहाव नियंत्रित निकासी द्वारा पौधे की जड़ों में या आसपास डाला जाता है| एक सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली में ड्रिपर/माईक्रोस्प्रिंकलर/स्प्रेयर  वितरण नालियाँ, कंट्रोल हैड सिस्टम, उर्वरक टैंक तथा इनके साथ फिट होने वाली बाकी सामग्री होती है|

खेतिहर मजदूरों व किसानों को मिलेगा आधुनिक खेती का प्रशिक्षण

खेतिहर मजदूरों व किसानों को मिलेगा आधुनिक खेती का  प्रशिक्षण

आधुनिक खेती के बदलते स्वरूप और उसकी जरूरतों के मद्देनजर किसानों को मदद देने के लिए पेशेवर लोगों की भारी कमी है। ऐसे प्रशिक्षित पेशेवरों को तैयार करने के लिए सरकार ने कृषि क्षेत्र में कौशल विकास की अनूठी कार्ययोजना तैयार की है। इसके लिए पहली बार पढ़े लिखे बाबू किसानों को मदद पहुंचाने वाले खेतिहर मजदूरों को प्रशिक्षण देकर तैयार करेंगे।