उपज

वह जो उपजा या बनकर तैयार हुआ हो।उपज भूमि के किसी टुकड़े में एक ही मौसम में पैदा की गई फसल की मात्रा को कहते हैं। बहुविध फसल प्रणाली को अपना कर एवं सिंचाई व्यवस्था में सुधार लाकर उपज में बढ़ोतरी की जा सकती है। आधुनिक कृषि विदियों को अपनाने से भी उपज बढ़ती है।

सेब के नए पौधे कब लगाएं

सेब के नए पौधे कब लगाएं

जो बागवान सेब के नए पौधे लगाना चाहता हैं, उनके लिए फरवरी से मार्च तक का समय उपयुक्त है, लेकिन बागवान सेब के नए पौधों को दोपहर के बाद ही लगाएं. इससे बगीचों में लगाए नए सेब के पौधे को बीमारियों से बचाया जा सकता है, साथ ही सेब के पौधों का तेजी से विकास भी होता है. इसके अलावा सेब के पौधे आसानी से टिक जाते हैं. बागवान सेब के नए पौधों को लगाने से पहले ध्यान रखें कि पौधों को अच्छी तरह से उपचारित कर लें. जानकारी के मुताबिक, बागवान रेड रॉयल और गोल्डन सेब के पौधे लगाना ज्यादा पसंद करते हैं. इससे किसानों को अच्छी उपज और आमदनी मिलती है.

खेतिहर मजदूरों व किसानों को मिलेगा आधुनिक खेती का प्रशिक्षण

खेतिहर मजदूरों व किसानों को मिलेगा आधुनिक खेती का  प्रशिक्षण

आधुनिक खेती के बदलते स्वरूप और उसकी जरूरतों के मद्देनजर किसानों को मदद देने के लिए पेशेवर लोगों की भारी कमी है। ऐसे प्रशिक्षित पेशेवरों को तैयार करने के लिए सरकार ने कृषि क्षेत्र में कौशल विकास की अनूठी कार्ययोजना तैयार की है। इसके लिए पहली बार पढ़े लिखे बाबू किसानों को मदद पहुंचाने वाले खेतिहर मजदूरों को प्रशिक्षण देकर तैयार करेंगे।

दोगुनी उपज वाली तुअर की रोगमुक्त प्रजाति विकसित

दोगुनी उपज वाली तुअर की रोगमुक्त प्रजाति विकसित

भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) कानपुर के वैज्ञानिकों ने करीब 7 साल रिसर्च के बाद तुअर की एक नई प्रजाति आईपीए 203 विकसित की है। इसके पौधे किसी भी तरह की बीमारी से मुक्त होंगे। आईआईपीआर ने तुअर के ये खास बीज नेशनल सीड कॉर्पोरेशन और स्टेट सीड कॉर्पोरेशन के साथ बिहार और झारखंड को भी भेजे हैं, ताकि वे अपने यहां किसानो को इस नई प्रजाति आईपीए 203 के बीज उपलब्ध करा सकें। आईआईपीआर के निदेशक डॉ.