kisan

कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से सम्बंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है जो लोग कृषि के कार्य को करके अपनी जीविका उपार्जन करते है उन्हें किसान कहते है 
किसानो को निम्न बिन्दुओ से भी जाना जा सकता है 

1. जो फसलें उगाते हैं।

2. कृषक (farmer)

3. खेतिहर – खेती करने वाला।

4. जो खेत और फसल में अपना योगदान देते हैं।

5. जिनके पास स्वयं के खेत है और दूसरे कामगारों से काम करवाते हैं, किसान हैं।

6. किसान खेतों में पसीना बहाकर अन्न उपजाते हैं

किसानों को जैव कीटनाशी दवा पर मिलेगा 50 फीसदी अनुदान

किसानों को जैव कीटनाशी दवा पर मिलेगा 50 फीसदी अनुदान

किसानों को जैव कीटनाशी दवा पर मिलेगा 50 फीसदी अनुदान

फसलों को कीटों से बचाने के लिए किसानों द्वारा धड़ल्ले से हो रहे रासायनिक कीटनाशी दवाओं के प्रयोग से खेतों व पैदावार पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इतना ही नहीं धीरे-धीरे इको सिस्टम पर भी इसका असर हो रहा है। कृषि विभाग ने रासायनिक दवाओं के उपयोग व फसलों के नुकसान को रोकने व जैव कीटनाशी दवाओं का प्रयोग बढ़ाने के लिए अहम कदम उठाया है।

जैविक खेती काे अपनाना समय की बड़ी मांगः वसुंधरा राजे

जैविक खेती काे अपनाना समय की बड़ी मांगः वसुंधरा राजे

देश की कृषि काे बचाने के लिए, किसान काे खुशहाल बनाने के लिए और भारत के शहराें में रहने वाले लाेगाें की सेहत काे ध्यान में रखेत हुए अाज जैविक खेती अपनाना समय की सबसे बड़ी जरूरत है। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ग्लाेबल राजस्थान एगरीटेक मीट में मुख्य मेहमान के ताैर पर भाषण देते हुए कहे।

कृषि क्षेत्र के हालात ज्यादा बदतर देश में हर रोज बेरोजगार हो रहे हैं 550 लोग

कृषि क्षेत्र के हालात ज्यादा बदतर देश में हर रोज बेरोजगार हो रहे हैं 550 लोग

 देश में रोजगार की संभावनाएं तलाश रही केंद्र सरकार के तमाम प्रयासों के बीच एक चौकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। यह रिपोर्ट बताता है कि देश में हर रोज करीब 550 लोग बेरोजगार हो रहे हैं। अगर यही रफ्तार जारी रही तो साल 2050 तक देश के 70 लाख लोग बेरोजगार हो चुके होंगे। दिल्ली सोसाइटी स्थित एक सिविल सोसाइटी ग्रुप प्रहार (PRAHAR) के एक अध्यियन में यह बात सामने आई है।

 

कृषि क्षेत्र के हालात ज्यादा बदतर:

मौसम परिवर्तन के अनुरूप करें खेती

मौसम परिवर्तन के अनुरूप करें खेती

मौसम में अभी और ठंडक घुलने के इंतजार में किसान रबी फसल की बोवनी के लिए अपने खेतों को तैयार करने में जुटे है। किसान जहां खेतों में पलेवा कर रहे है तो कृषि विभाग के अधिकारी भी सोसाइटी के माध्यम से किसानों को बीज और उर्वरक मुहैया कराने की तैयारियों में जुट गए है। खुद कृषि विभाग के अधिकारियों का भी मानना है किसानों को बोवनी के लिए अभी एक पखवाड़े इंतजार करना चाहिए। गेहूं को छोड़कर अन्य फसलों की बोवनी शुरू कर देने से कोई खास नुकसान नहीं होने की बात भी अधिकारी कर रहे है। किसान बोवनी के लिए पलेवा कर जमीन को तैयार कर रहे है। लेकिन अभी मौसम में पर्याप्त ठंडक नहीं होने के कारण किसान और ज्यादा ठंडक घुलने

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