कृषि से जुड़े क्षेत्रों को संवारेगी सरकार
कृषि से जुड़े क्षेत्रों के तेज विकास के रास्ते सरकार खेती को संवारने में जुटी है। श्वेत और नीली क्रांति की शानदार उपलब्धियों और बागवानी की तेज रफ्तार से खेती की बिगड़ी व्यवस्था को सुधारने की कोशिश हो रही है। बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने की ठोस पहल के साथ ध्वस्त प्रसार प्रणाली में सुधार किया गया है। उपज की उचित कीमत दिलाने के लिए मंडी व्यवस्था में सुधार किया गया है। इसमें ज्यादातर राज्यों ने शिरकत करने की हामी भरी है।
सरकार की उपलब्धियों की विस्तार से जानकारी देने आए कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि हर खेत को पानी पहुंचाने की सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना की गति देने के लिए राज्यों पर दबाव बनाया जा रहा है। इससे जिला स्तर की योजनाओं पर अमल शुरू किया जा सकेगा। खेतों की सेहत सुधारने में जुटी सरकार इस योजना को युद्ध स्तर पर चला रही है। लागत को घटाने के लिए परंपरागत कृषि योजना में जैविक खेती को प्रोत्साहित किया गया है। योजना अगले साल तक निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर सकती है।
कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में पिछले डेढ़ साल के भीतर विभिन्न फसलों की कुल 93 उन्नत किस्में जारी की गई हैं। उन्हें किसानों तक पहुंचाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ राज्यों की प्रसार व्यवस्था की मदद ली गई है। 542 जिलों में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्रों को सुदृढ़ बनाने के लिए लगभग चार हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जा रही है।
बागवानी क्षेत्र की विकास दर 10 फीसद को छू रही है। नीली क्रांति यानी मत्स्य क्षेत्र की विकास दर 6.2 फीसद तक पहुंच गई है। डेयरी क्षेत्र नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। देसी नस्ल की गायों को संरक्षित कर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से मुक्त बनाने की योजना शुरू की गई है। पशु चिकित्सा के क्षेत्र 150 फीसद की वृद्धि हुई है। नए पशु चिकित्सा महाविद्यालय खोलने के साथ सीटें बढ़ाई गई हैं। दुग्ध उत्पादन में सालों साल वृद्धि दर्ज हुई है।
दलहन और तिलहन पर जोर
दलहन व तिलहन की बिगड़ी खेती को पटरी पर लाने के लिए कृषि मंत्रालय ने कई उपाय किए हैं। इनमें कृषि विज्ञान केंद्रों को जिम्मेदारी लगाई गई है। इन केंद्रों को 60 हजार हेक्टेयर खेतों में प्रदर्शन करने को कहा गया है। इसके लिए किसानों को बीज व तकनीकी सहायता दी गई। तीन सौ जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों में दलहनी फसलों का प्रदर्शन किया गया, जबकि 200 जिलों को तिलहन की फसलों के प्रदर्शन का दायित्व सौंपा गया था। इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं।
Naidunia Jagran