देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में जलस्तर किसानों की नयी मुसीबत
उत्तर प्रदेश में जल भूमिगत जल स्तर घटने से यहां के किसानों पर बड़ा संकट खड़ा होता दिख रहा है। यूपी में किसानों को अपने खेतों की सिंचाई के लिए घंटों पानी के आने का इंतजार करना पड़ता है।
घंटों ट्यूबवेल का राहत टकते हैं
उत्तर प्रदेश का जल स्तर जिस तरह से घटता जा रहा है उसने किसानों के माथे की लकीरों को काफी गहरा कर दिया है। यहां का जल स्तर 8 फीट नीचे जा चुका है। ऐसे में ट्यूबवेल के पंप से पानी आने में दो घंटे ज्यादा लगते हैं। यहां कि किसान जिस तरह से घंटों पानी के इंतजार में कड़ी धूम में ट्यूबवेल की ओर उम्मीद भरी आंखो से देखते हैं वह काफी चिंता का विषय है। पिछले तीन सालों में 8 फीट जलस्तर कम होना प्राकृतिक श्रोतों के दोहन का ज्वलंत उदाहरण है। पिछले दस साल में नौ गुना गिरा भूमिगत जलस्तर वर्ष 2000 से 2011 के बीच देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में पानी का स्तर नौ गुना कम हो गया है। भूमिगत जल के स्तर के कम होने की मुख्य वजह है अवैध तरीकों से बोरिंग करके पानी का दोहन होना। ऐसे में भूमिगत जल स्तर बढ़ने की बजाए तेजी से कम हो रहा है। 59 फीसदी सिंचाई के जल की कमी यूपी मे 42 लाख ट्यूबवेल हैं, 25 हजार कुएं और 30000 सरकारी ट्यूबवेल हैं, जिसकी मदद से खेतों की सिचाई का काम होता है। वहीं सिचाईं विभाग की मानें तो प्रदेश में सिंचाई के लिए पानी की मांग के हिसाब से 59 प्रतिशत पानी कम है। सिंचाई के लिए तकरीबन 70 फीसदी पानी भूमिगत जल से आता है।
शहरीकरण और खाद का अधिक प्रयोग बना बड़ी मुसीबत भूमिगत जल की कमी की मुख्य वजह है प्रदेश की बढ़ती आबादी और कृषि योग्य भूमि का शहरीकरण। वहीं खेतों में आवश्यकता से अधिक खाद का प्रयोग भी इसकी कमी की एक बड़ी वजह है। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों को तालाब और झील के करीब खेती को बढ़ाना चाहिए जिससे सिंचाई की समस्या से निदान मिल सकता है।
साभार वन इंडिया