धान पर टिड्डियों का हमला
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के माहिरों को सर्वेक्षण में पता चला है कि धान और बासमती के कुछ खेतों में टिड्डियों का हमला हुआ है।
माहिरों ने सलाह दी है कि पीएयू की सिफारिशों के अनुसार इस हमले को रोकने के लिए फसलों पर दवा का छिड़काव किया जाए।
पंजाब में सफेद पीठ और भूरी पीठ वाला टिड्डा धान की फसल का नुकसान करता है। यह टिड्डे पौधे के तने के पास ही रस चूसते हैं और अक्सर दिखाई नहीं देते। इनके हमले से पौधे के पत्ते ऊपरी तरफ से पीले पड़ने शुरू हो जाते हैं और धीरे धीरे सारा पौधा सूख जाता है।
कई बार हमले में पत्तों पर काली उली भी लग जाती है। जब हमले वाला पौधा सूख के टूट जाता है तो टिड्डे नए पौधों पर चले जाते हैं। यदि इनकी रोकथाम न की जाए तो कई बार धीरे धीरे सारा खेत चपेट में आ जाता है। इसकी रोकथाम के लिए रोजाना खेत का सर्वेक्षण करना जरूरी है। यदि प्रति पौधा पांच से अधिक टिड्डे दिखाई दें तो सिफारिश की दवा का छिड़काव किया जाए।
उपचार
1-देसी गाय का 5 लीटर उसमे 5 किलो ग्राम नीम कि पत्ती या मट्ठा 2 किलोग्राम नीम कि खली या 2 किलोग्राम नीम एक बड़े मटके में भरकर 40-50 दिन तक सडाये सड़ने के बाद उस मिश्रण में से मात्रा 5 लीटर को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ प्रत्येक सप्ताह तर बतर कर छिड़काव करते रहे
या
2- 500 ग्राम लहसुन और 500 ग्राम तीखी चटपटी हरी मिर्च लेकर बारीक़ पीसकर 200 लीटर पानी मे घोलाकर पम्प से अच्छी तरह से तर बतर कर हर सप्ताह छिड़ काव करे
या
3- 10 लीटर देसी गौ - मूत्र में 2 किलोग्राम अकाऊआ के पत्ते डालकर 10-15 दिन सड़ाकर इस मूत्र को आधा शेष बचने तक उबाले फिर इसके लीटर 1 मिश्रण में 200 लीटर पानी में अच्छी तरह मिलाकर पम्प द्वारा अच्छी तरह से तर बतर कर हर सप्ताह छिड़काव करे