मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में अब मिलेगा 1 पलेवा, 1 सिंचाई
मंदसौर। जिले भर में बरसात कम होने का असर खरीफ के बाद अब रबी पर भी दिखेगा। जिले भर में 51 तालाबों में से 37 तालाब क्षमता से आधे ही भर पाए हैं। इनमें से अधिकांश तालाब रबी सीजन में खेतों को तर रखते थे। अब पानी की कमी को देखते हुए सिंचाई विभाग ने ही यह फैसला कर लिया है कि किसानों को एक बार पलेवा के लिए और दूसरी बार सिंचाई के लिए पानी दिया जाएगा। इसके अलावा पानी नहीं दे पाएंगे। इस बार बरसात कम होने से लदूना, लामगरा, मूंदड़ी, चंदवासा, रनायरा जैसे बड़े तालाब तो खाली ही हैं। इससे लगभग 350 गांव के 15 हजार किसानों को रबी में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाएगा।
जिले भर में जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित 51 तालाब हैं। उनकी कुल भराव क्षमता 87.506 एमसीएम है पर सभी मिलकर 67.510 एमसीएम ही भर पाए हैं। 37 तालाब ऐसे हैं जो आधे या उसके आसपास ही भरे हैं। सभी तालाबों से 320 गांवो के 15 हजार से अधिक किसानों की 19 हजार 800 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होती है। जिले में औसत 29.7 इंच बरसात हुई है और मल्हारगढ़, संजीत, सीतामऊ, धुंधड़का जेसे क्षेत्रों में कम बरसात हुई है। अब सिंचाई के साथ ही गांवों में मवेशियों व लोगों के लिए अगली बरसात तक पानी रखने की भी जरुरत को देखते हुए। जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक में अधिकारियों ने किसानों को कम पानी की फसलें लगाने के लिए प्रेरित करने के साथ ही सिंचाई के लिए एक पलेवा व एक पानी देने का निर्णय लिया है। विभाग 19 हजार 800 हेक्टेयर पर सिंचाई के लिए पानी देने को तो तैयार है पर पानी की कमी के कारण किसानों को एक पलेवा (बोवनी के बाद पहला पानी) व बाद में एक और पानी दिया जाएगा। इसके बाद किसानों को अपनी व्यवस्था करना होगी।
सभी फसलों में लगता है
दो से अधिक बार पानी
किसान इस निर्णय से खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि रबी में दो बार पानी देने से मात्र चने की फसल ही हो सकती है। धनिये की फसल में तीन बार पानी, अफीम में आठ-दस बार पानी, गेहूं में पांच-छह बार पानी, मैथी में भी तीन बार पानी की आवश्यकता होती है।
50 फीसदी भी नहीं भरे
रेवास देवड़ा मार्ग पर स्थित घटावदा तालाब की कुल क्षमता 2.038 एमसीएम है। और तालाब 0.810 एमसीएम ही भरा है। इसी तरह मूंदड़ी जलाशय 28 फीसदी, जोतखेड़ी 39 फीसदी, रतन पिपलिया 33 फीसदी, मिंडलाखेड़ा 34 फीसदी ही भरा है।
120 किसान होंगे प्रभावित
लदूना तालाब की जलग्रहण क्षमता 2.103 एमसीएम है इस बार पानी सिंचाई के लेवल तक ही नहीं पहुंचा है। लदूना, राजनगर व आसपास के गांवों के 120 किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाएगा।
चंदवासा तालाब भी खाली
शामगढ़ के पास चंदवासा तालाब की जलग्रहण क्षमता 0.550 एमसीएम है। यहां भी पानी सिंचाई के लेवल तक नहीं पहुंच पाया है। इससे आसपास के ग्राम असावटी, गरड़ा, रणायरा, चंदवासा के किसानों को सिंचाई के लिए समस्या होगी।
180 किसानों को
नहीं मिलेगा पानी
मल्हारगढ़ क्षेत्र के रनायरा गर्रावद तालाब की जलग्रहण क्षमता 1.590 एमसीएम है। पर पानी सिंचाई लेवल तक नहीं पहुंचने से जल संसाधन विभाग नहर प्रारंभ नहीं कर पाएगा। तालाब से लगे ग्राम गोपालपुरा, रनायरा, गर्रावद ग्राम के लगभग 180 किसानों को भी सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा। इसी तरह मल्हारगढ़ क्षेत्र का सोमिया तालाब 8 फीसदी ही भरा है। ग्राम जन्याखेड़ी, नारायणगढ़, बंड पिपलिया, झारडा, कचनारा, पिपलिया विशनिया के सैकड़ों किसान प्रभावित होंगे।
पानी नहीं भरा
संजीत, मल्हारगढ़, सीतामऊ और शामगढ़ क्षेत्र में बरसात कम हुई है। इस कारण तालाबों में पानी नहीं भरा है। सीतामऊ के लदूना तालाब में गहरीकरण करने से पानी नहीं रुक रहा है। तालाब में भी पानी जमीन में उतर रहा है। पानी की कमी से किसानों को इस वर्ष एक पलेवा व एक पानी ही दिया जाएगा, जिससे सभी को बराबर पानी मिल सके।
- अरविंद खरे, कार्यपालन यंत्री
जल संसाधन विभाग, मंदसौर
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