लैब से लैंड तक रिसर्च पहुंचाएंगे देश के 20 हजार एग्रीकल्चर साइंटिस्ट
एग्रीकल्चर रिसर्च सेक्टर में तेजी से युवा आ रहे हैं। यही वजह है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) नईदिल्ली से जुड़े कृषि विवि, इंस्टीट्यूट और डायरेक्ट्रेड में आज 20 हजार एग्रीकल्चर साइंटिस्ट हैं। इनकी मदद से एग्रीकल्चर रिसर्च को लैब से लैंड तक पहुंचाया जा रहा है। मेरा गांव-मेरा गौरव योजना से इन्ह देश के 20 हजार गांवों से जोड़ा जा रहा है।
एक वैज्ञानिक को एक गांव को गोद लेना होगा और वहां जाकर एग्रीकल्चर रिसर्च को किसानों से शेयर करनी होगी। यह बात एग्रीकल्चर साइंटिस्ट रिक्रूटमेंट बोर्ड (एएसआरबी) के चेयरमैन डॉ. गुरुवचन सिंह ने नईदुनिया से चर्चा में कही। वे शुक्रवार को खरपतवार अनुसंधान केन्द्र के स्थापना दिवस पर जबलपुर आए थे।
4 साल में तेजी से भर्ती किए गए वैज्ञानिक
चेयरमैन ने बताया कि युवा अब आईआईएम और आईआईटी की तरह एग्रीकल्चर सेक्टर को भी देख रहे हैं। यही वजह है कि अब युवा साइंटिस्ट एग्रीकल्चर क्षेत्र में आ रहे हैं। चार साल में हमने 600 से ज्यादा युवा वैज्ञानिकों को भर्ती किया। इतना ही नहीं आने वाले साल में भर्ती की रफ्तार तेज होगी और भर्ती नियम सरल होंगे। हाल ही में यह निर्णय लिया गया है कि एग्रीकल्चर साइंटिस्ट की पदोन्न्ति होती है तो उसी साल उसे पदोन्न्ति दे दी जाएगी।
विदेशों में जरूरत है देश के वैज्ञानिकों की
देश के एग्रील्चर और वेटनरी साइंटिस्ट की डिमांड बढ़ रही है। हम अमेरिका और अन्य देशों पर निर्भर नहीं हो रहे बल्कि वो हमारे साइंटिस्ट को ले रहे हैं। अफगानिस्तान जैसे देशों में कृषि वैज्ञानिकों की सबसे ज्यादा डिमांड है। हमने ऐसे कार्यक्रम तैयार किए हैं कि रिसर्च के लिए युवाओं को अन्य देशों में भेजा जाएगा। इसके लिए कई एमओयू साइन किए गए हैं।
अब वैज्ञानिक नहीं प्रशासनिक भर्ती भी करेंगे
एएसआरबी ने निर्णय लिया है कि वो अब सिर्फ देश के युवा कृषि वैज्ञानिकों की ही भर्ती नहीं करेगा, बल्कि देश के एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, इंस्टीट्यूट में प्रशासनिक और तकनीकी पदों की भर्ती करेगा। बोर्ड ने इसके लिए पूरी तैयार कर ली है। अब इनकी भर्ती की जिम्मेदारी और नियमावाली एएसआरबी से की जाएगी, ताकि जल्द से जल्द रिक्त पदों को भरा जा सके।
क्या है एएसआरबी
पीएससी की तरह ही एएसआरबी की कार्यप्रणाली होती है। देश में युवा कृषि वैज्ञानिकों की भर्ती प्रक्रिया एएसआरबी करता है। यह आईसीएआर और कृषि विभाग के अधीनस्थ होता है।