सरसों, टमाटर और बैंगन के लिए बहुत खतरनाक है यह पाला
कड़ाके की ठंड और कोहरे का असर दिख रहा है. लगभग पूरे उत्तर भारत में इसका प्रकोप जारी है. आसमान साफ रहने, तापमान अधिक गिरने और हवा नहीं चलने से पाला का खतरा बढ़ जाता है. अभी यह खतरा कुछ फसलों के लिए बहुत बड़ा है जिनमें सरसों, टमाटर और बैंगन के नाम है. इनकी फसल चल रही है, इसलिए पाले से बचाना बहुत जरूरी है. पाले से बचाने के लिए किसानों को वैज्ञानिक सलाहों पर गौर करना चाहिए. इन सलाहों की मदद से किसान अपनी फसल को आसानी से बचा सकते हैं.
पाले का खतरा समझने के लिए किसान कुछ जरूरी संकेतों को समझ सकते हैं. जब ठंडी हवाएं चलनी बंद हो जाएं, आसमान साफ हो, तापमान जमाव बिंदु के आसपास हो, तो पाला पड़ने की संभावना होती है. अभी का मौसम ऐसा ही चल रहा है जिससे मटर, सरसों, बैंगन, मिर्च, आलू, गन्ना, पपीता, नींबू और आम के पौधों को नुकसान पहुंच सकता है.
फसलों को पाले से बचाने का सबसे आसान तरीका ये है कि खेत के उत्तर-पूर्व दिशा में रात को 10 से 12 बजे के बीच दो-तीन जगहों पर कूड़ा, कचरा जला दें. इससे धुआं होगा और खेत के आसपास का पाला दूर हो जाएगा. धुआं फसलों के ऊपर जमने से पाले का असर फसलों पर नहीं होगा. पाले से बचाने के लिए फसलों की सिंचाई की जानी चाहिए.
अन्य तरीका खाद के इस्तेमाल का है. सरसों बोते वक्त ही अगर खेतों में जिप्सम का प्रयोग किया जाए तो आगे चलकर पाले से सुरक्षा मिलती है. किसान सरसों पर थायोयूरिया का छिड़काव भी कर सकते हैं. इसके लिए थायोयूरिया आधा ग्राम या 2 ग्राम घुलनशील गंधक एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इस छिड़काव से फसल को 15 दिन तक पाले से बचाया जा सकता है. अगर जरूरत हो तो फिर से इस घोल का छिड़काव कर दें. फसलों को प्लास्टिक की रस्सी से झाड़ दिया जाए तो उस पर जमी ओस गिर जाएगी. इससे फसल को पाले से राहत मिलेगी.
किसान अगर नर्सरी में प्याज, टमाटर, मिर्च, बैंगन जैसी सब्जियों की खेती कर रहे हैं तो खास सावधानी बरती जानी चाहिए. नर्सरी के ऊपर पॉलीथीन डालने से पौधों को राहत मिलती है और वहां की जमीन का तापमान कम नहीं होता. दिन में जब धूप आए तो प्लास्टिक को हटा दें ताकि पौधों को धूप मिल जाए. इससे तापमान में वृद्धि होगी. आम और पपीता को पाले से बचाने के लिए उत्तर पश्चिम दिशा में लकड़ी के शेड बनाकर पुरानी बोरी या पराली से ढंक दें. इससे पाले से निजात मिलती है.
पाले से बचाव के लिए ऐसी किस्में लगानी चाहिए जो पाले को बर्दाश्त कर लेती हैं. इसमें सरसों की आरएच 781 और 0406 वेरायटी खास है जो पाले को सह लेती है. दरअसल, पाला के चलते पौधों की कोशिकाओं का पानी जम जाता है और इससे पौधों की कोशिकाएं फट जाती हैं. इससे फसलों की उपज पर भारी असर देखा जाता है. इससे बचने के लिए किसान फसलों पर छिड़काव करें या धुआं करके भी सुरक्षा दी जा सकती है.