बारिश न होने से यूपी में धान की फसल को भारी नुकसान

धान की फसल को भारी नुकसान

पहले गेंहू की फसल पर मौसम की मार ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी। वहीं अब धान की फसल से आस लगाये बैठे किसानों के मांथे पर सूखे की आहट ने चिंता की लकीरें खींच दी हैं। सितंबर माह के शुरूआती दिनों में यूपी के ज्यादातर इलाकों में बारिश न के बराबर हुयी है। अगर ऐसा आगे भी जारी रहा तो गेहूं की तरह धान की फसल भी किसानों की जान लेने के लिए तैयार है।
 
पिछले तीन वर्षों में खरीफ फसलों के दौरान औसत से कम बारिश हुयी है। जिसके कारण खरीफ फसल का उत्पादन घटा है। 2014-15 के दौरान सरकार के 515 लाख मीट्रिक टन उत्पादन लक्ष्य में केवल 381 लाख टन ही उत्पादन हो सका। वहीं इससे पहले 2014 में धान का उत्पादन 132 लाख मीट्रिक टन कम हुआ। जबकि 2013 में बाढ़ की वजह से 314.6 लाख मीट्रिक टन कम धान का उत्पादन हुआ था।
 
उत्तर प्रदेश कृषि अधिकारियों के मुताबिक बारिश न होने से प्रदेश के 85 फीसदी कृषि भूमि को पानी की जरूरत है। किसान प्राइवेट ट्यूबवेल और नहरों से फसलों की सिचाई कर रहे हैं। लेकिन ये प्रशासन को चाहिए कि वो नहरों में पानी की व्यस्था सुनिश्चित करें, साथ ही जहां नहरों में पानी आखिरी छोर तक नहीं पहुंच रहा है। सरकार को उस पर भी कार्य करना चाहिए।
 
गौरतलब है कि धान को उस समय ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है, जब उसमें धान की बालियां निकल रही होती हैं। लेकिन इसी समय पूरे प्रदेश में सूखे जैसे हालात हैं। जिसकी वजह से धान के उत्पादन में कमी होने के संकेत मिल रहे हैं। प्रदेश में 65 फीसदी औसत बारिश दर्ज की गयी है। लेकिन अभी इसकी और भी आवश्यकता है। 
 
उत्तर प्रदेश के कृषि अध्यक्ष ए के विश्नोई के मुताबिक सितंबर माह में फसल के लिए बारिश होना जरूरी है। अगर ऐसा नही होता है, तो प्रदेश में खाद्यान संकट से जूझना पड सकता है। इसके अलावा कर्ज लेकर खेती करने वाले किसानों की जान पर बन आयेगी। क्यों बहुत सारे किसानों की गेंहूं की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है।