आलू की फसल में लग सकते हैं झुलसा जैसे रोग, करे बचाव

आलू की फसल में लग सकते हैं झुलसा जैसे रोग, करे बचाव

आलू में कई तरह की बीमारियां और कीटों के लगने का खतरा रहता है,लगातार तापमान गिरने और बदलते मौसम के साथ ही आलू में कई तरह के रोग और कीट लगने लगते हैं, समय रहते इनका प्रबंधन करके किसान नुकसान से बच सकते हैं। "आलू में पछेती अंगमारी या पछेती झुलसा बीमारी बहुत खतरनाक होती है। दो बीमारियों का हमें खास ध्यान रखना होता है, एक अगेती झुलसा और दूसरा पछेती झुलसा रोग। इनसे बचाव के लिए जब एक महीने की फसल हो जाती है तो मैंकोजेब 75 प्रतिशत फंफूदीनाशक की लगभग आठ सौ ग्राम मात्रा प्रति एकड़ खेत के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए। इसी के साथ ही आलू की फसल में एक और भी बीमारी देखने को मिलती है, जिसे बैक्टीरियल रॉट य

10 बेहतरीन तिलहनी फसलें, उत्पादन के साथ आय में होगी बढ़ोतरी

10 बेहतरीन तिलहनी फसलें, उत्पादन के साथ आय में होगी बढ़ोतरी

भारत में तिलहन की खेती बड़े पैमाने में की जाती है. छोटे और सीमांत क्षेत्रों के किसानों के लिए तिलहन की खेती आय का एक बड़ा जरिया है.  तिलहनों से ही खाद्य तेल और वनस्पति तेल बनाया जाता है. जिनका उपयोग खाना पकाने, व्यक्तिगत देखभाल, चिकित्सीय लाभों और कई अन्य उपयोगों के लिए किया जाता है.

सब्ज़ी फ़सल उत्पादन में एकीकृत कीट प्रबंधन

एकीकृत कीट प्रबंधन, Integrated pest management (आईपीएम) एक गतिशील और उभरती हुई प्रणाली है, जिसमें सभी उचित नियंत्रण कार्यनीति और उपलब्ध सर्विलांस व पूर्वानुमान की जानकारी को स्थायी फ़सल उत्पादन प्रौद्योगिकियों के हिस्से के रूप में उचित अंतराल पर किसानों को वितरित एक समग्र प्रबंधन कार्यक्रम में जोड़ा जाता है.

आईपीएम या एकीकृत कीट प्रबंधन नाशीजीवों के कंट्रोल के लिए बड़े पैमाने पर अपनाई जाने वाली एक विधि है. आईपीएम का लक्ष्य नाशीजीवों की तादाद एक सीमा के नीचे बनाए रखना है. इस सीमा को आर्थिक क्षति सीमा कहा जाता है.

बदलता परिदृश्य और भारत में GM फसलों का भविष्य

बदलता परिदृश्य और भारत में GM फसलों का भविष्य

हाल ही में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत काम करने वाली जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) ने आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) सरसों के व्यावसायिक रिलीज से पहले बीज उत्पादन को मंजूरी दे दी है. जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अनुसंधान और औद्योगिक उत्पादन में खतरनाक सूक्ष्मजीवों और पुनःसंयोजकों के बड़े पैमाने पर उपयोग से संबंधित गतिविधियों के मूल्यांकन के लिए जिम्मेदार है. GEAC की अध्यक्षता MoEF&CC के विशेष सचिव/अतिरिक्त सचिव तथा सह-अध्यक्षता जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के एक प्रतिनिधि द्वारा की जाती है.

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