केले के थंब के रेशे से होगा कागज निर्माण

केले के थंब के रेशे से होगा कागज निर्माण

बिहार में जल्द ही केले के थंब से कागज निर्माण शुरू होगा। शुरुआती चरण में केले के अधिक उत्पादन वाले आधा दर्जन से अधिक जिलों में उद्योग लगेंगे। बाद में अन्य जिलों में भी केले की खेती बढ़ा कर इस पर अमल किया जाएगा। उद्योग लगाने में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क), मुम्बई के वैज्ञानिकों से सहयोग लिया जा रहा है।

 

मुजफ्फरपुर, कटिहार, खगड़िया, सारण, समस्तीपुर, भागलपुर, वैशाली, बेगूसराय व पूर्णिया के 108 उद्यमियों ने संबंधित उद्योग केंद्रों में आवेदन देकर उद्योग स्थापना में रूचि दिखाई है। । इच्छुक उद्यमियों को प्रशिक्षण देकर प्रोजेक्ट तैयार कर देने को कहा गया है। उद्योग विभाग के अधिकारी के मुताबिक प्रोजेक्ट जमा करने के बाद इन उद्यमियों को दोबारा प्रशिक्षण मिलेगा।

 

बीते 15 सितंबर को पटना में उद्यमियों को बार्क के वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों ने उद्योग स्थापित करने की तकनीक से लेकर मार्केटिंग तक की जानकारी दी। उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ के अनुसार केले के स्तंभ से रेशे और गुणवत्तापूर्ण कागज निर्माण हो सकता है। उन्होंने कहा कि पुनरासर जूट मिल रेशा लेने को तैयार भी हो गया है। इसे देखते हुए उद्योग केंद्र के जीएम को इच्छुक उद्यमियों का क्लस्टर तैयार करने को कहा गया है।

 

लघु उद्योग भारती के पूर्व अध्यक्ष भारत भूषण ने बताया कि पारंपरिक खेती के चलते यहां के केले गुणवत्ता मामले में भुसावल केले के सामने देश के बाजार में चुनौती नहीं दे पाते। इसके कारण किसान केले की खेती से मुंह मोड़ रहे हैं। जबकि, यहां के केले खुशबू एवं स्वाद के मामले में महाराष्ट्र के केले से उन्नत हैं। केले के तने से उद्योग लगने पर किसानों को केले के साथ तने की भी कीमत मिलेगी। इससे खेती में भी वृद्धि होगी।

 

बिहार को कागज का बड़ा केंद्र बनाएंगे : उद्योग मंत्री

 

बिहार के उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह ने कहा कि बिहार कागज उत्पादन का बड़ा केंद्र बन सकता है। इसके लिए रॉ मैटेरियल भी है और बाजार भी। फिलहाल यहां कागज उद्योग नहीं है। बाहर से ही कागज मंगाना पड़ता है। यहां उद्योग लगने से उद्यमियों को मार्केट की तलाश नहीं करनी पड़ेगी। इसी सोच के तहत केले के तने से पेपर इंडस्ट्री लगाने को सरकार आगे आई है। इच्छुक उद्यमियों को हर तरह से मदद दी जाएगी। ऋण दिलाने से लेकर सब्सिडी तक की व्यवस्था होगी। उत्पादन का 15% तो सरकार अनिवार्य रूप से खरीदेगी। चूंकि यह नया उद्योग है, इसलिए तकनीकी मदद भी दी जाएगी। वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। प्रथम चरण में नौ जिलों में उद्योग लगाने की तैयारी है। इससे प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से शुरू में ही कम से कम 10 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा।

 

बिहार में 31 हजार हेक्टेयर में होती है केला की खेती

प्रदेश में 31 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर केले की खेती होती है। हर वर्ष 1417 हजार मीट्रिक टन केले का उत्पादन होता है। उत्पादन में हर वर्ष वृद्धि होते जा रही है। सबसे अधिक मुजफ्फरपुर में 4892 हेक्टेयर में 173724 मीट्रिक टन एवं वैशाली में 3084 हेक्टेयर में 102414 मीट्रिक टन केले का उत्पादन होता है।

 

देश में 4.9 लाख हेक्टेयर में होती है केले की खेती

 

देश में लगभग 4.9 लाख हेक्टेयर में केले की खेती होती है। इससे 180 लाख टन केले का उत्पादन होता है। सबसे अधिक उत्पादन महाराष्ट्र के जलगांव जिले में होता है। देश के कुल उत्पादन का 24 प्रतिशत अकेले इसी जिले में होता है।

 

इन जिलों में भरपूर होती है केले की खेती

 

वैसे प्रदेश के सभी जिलों में केले की पैदावार होती है। लेकिन, मुजफ्फरपुर, वैशाली, भागलपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, सहरसा, पूर्णिया, खगड़िया व पश्चिमी चंपारण जिलों में केले की बड़े पैमाने पर खेती होती है। देश में कुल उत्पादन का तीन प्रतिशत केला बिहार में होता है।

 

25 लाख रुपये से ऊपर का होगा प्रोजेक्ट

केले के तने से कागज उद्योग लगाने के प्रोजेक्ट पर तकरीबन 25 लाख की लागत आएगी। प्रोजेक्ट के लिए उद्यमियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। नवीनतम तकनीक की जानकारी दी जाएगी। बाजार की व्यवस्था सरकार करेगी। सरकार उद्यमियों को नई तकनीक से अवगत कराने के लिए ही एटॉमिक रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों से सहयोग ले रही है।उद्यमियों के क्लस्टर का हो रहा चयन

 

जिला उद्योग केंद्र के जीएम आरके शर्मा ने बताया कि केले के तने से कागज बनाने के लिए यहां पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल है। इसका उपयोग नहीं हो पाता है। विभाग के निर्देश पर उद्यमियों का क्लस्टर चिन्हित किया जा रहा है। इच्छुक उद्यमियों को प्रशिक्षण भी दिया गया कि किस तरह वे उद्योग लगा सकते हैं। प्रोजेक्ट मिलने के बाद आगे की प्रक्रियाएं पूरी होंगी।

साभार दैनिक भास्कर