प्याज की फजीहत : किसानों को रुलाये खून के आंसू

प्याज की फजीहत : किसानों को रुलाये खून के आंसू

थाली की शोभा बढाता है प्याज प्याज इस वर्ष चर्चा का विषय बना रहा है देश में प्याज के रेट को लेकर काफी राजनीती भी की गयी लेकिन आज अपने किसान को को खून के आंसू रूला रहा है प्याज

देश एवं प्रदेश में खलबली मचा देने वाली प्याज कभी किसान को हंसाती है, कभी रुलाती है और कभी सरकारें भी गिरा देती है। इसके बावजूद सरकारें प्याज के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं विपणन के प्रति गंभीर नहीं हैं। इस वर्ष बेहतर उत्पादन के कारण प्याज के दाम निम्न स्तर पर आ गए हैं। किसान खून के आंसू रो रहे हैं लागत भी नहीं निकल पा रही है। किसान औने-पौने दाम पर बेचने के साथ-साथ सड़क पर बिखेरने एवं बिना पैसे के मुफ्त में प्याज बांटने को मजबूर हो गए है। अधिक उत्पादन हो तो मुसीबत, कम उत्पादन हो तो मुसीबत। किसान पर ही चौतरफा वार है और प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि उद्यानिकी फसलों के बिना केवल परम्परागत फसलों के उत्पादन से खेती लाभदायक नहीं बन सकती और न ही किसानों की आय दोगुनी हो सकती है। अब कुछ किसान उद्यानिकी फसलों के लिए पॉलीहाऊस शेडनेट जैसी उन्नत तकनीक अपनाकर अपना उत्पादन बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं परंतु अब भी सामान्य तरीके से खेती कर उद्यानिकी किसान बम्पर उत्पादन ले रहे हैं परंतु विपणन एवं प्रसंस्करण व्यवस्था दुरूस्त न होने के कारण उन्हें उपज की सही कीमत नहीं मिल पा रही है और वे सड़कों पर कभी प्याज, कभी टमाटर बिखेरने को मजबूर हो गए हैं।
जानकारी के मुताबिक प्रदेश में उद्यानिकी का रकबा तेजी से बढ़ रहा है। लगभग 15 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में फसलें ली जा रही हैं। इसमें प्याज जैसी सब्जी फसल का रकबा गत वर्ष 1 लाख 25 हजार हेक्टेयर से अधिक है तथा उत्पादन 29 लाख टन एवं उत्पादकता 24 टन है। इस वर्ष 1 लाख 30 हजार हेक्टेयर में प्याज बोई गई तथा उत्पादन गत वर्ष की तुलना में लगभग 10 से 15 फीसदी अधिक होने का अनुमान है।
प्रदेश सरकार द्वारा उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लम्बे -चौड़े वादों के बावजूद किसान बम्पर उत्पादन पर प्याज सड़क पर बिखेर रहा हैं। कुछ किसान लोगों को मुफ्त में प्याज दे रहे है। इस तरह की खबर सोशल मीडिया में भी चल रही है। लागत नहीं निकलने के कारण किसान परेशान हो गए हैं। मालवा इलाके में कुछ समय पूर्व प्याज की कीमतें 5 रु. प्रति किलो से नीचे चल रही थी, नीमच में भी किसानों ने बहुत कम दाम पर प्याज बेची। इस वर्ष रतलाम, उज्जैन, शाजापुर और नीमच में भरपूर प्याज हुई है। इसलिये कीमतें बिल्कुल कम हो गई हैं। सरकार किसानों को अपने घरों में प्याज भंडार करने की सलाह दे रही है।

प्याज खरीदेगी सरकार
इधर केंद्र सरकार ने प्याज की कीमतों में सुधार लाने के लिए किसानों से करीब 15,000 टन प्याज खरीदने का फैसला किया है प्याज की कीमतें रिकॉर्ड निचले स्तरों पर आ गई हैं। खाद्य मंत्री श्री रामविलास पासवान ने बताया, ‘किसानों की मदद के लिये प्याज 8.50 से 9.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर खरीदा जाएगा, जो 1 से 2 रुपये की वर्तमान बाजार कीमत से काफी अधिक है।Ó प्याज की खरीदारी सरकारी एजेंसी राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (एसएफएसी) द्वारा की जाएगी। ये दोनों ही केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन काम करती हैं। प्याज की बाजार कीमत और जिस कीमत पर केंद्र ने खरीदारी करने की योजना बनाई है, उनके बीच के अंतर की भरपाई 900 करोड़ रुपये के नवगठित कीमत स्थिरता कोष (पीएसएफ) से की जाएगी। नेफेड पहले ही महाराष्ट्र के नासिक में किसानों से करीब 1500 टन प्याज खरीद चुका है, जबकि एसएफएसी ने 800 टन की खरीदारी की है। मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे अन्य प्याज उत्पादक राज्यों में भारी उत्पादन से कीमतें रिकॉर्ड निचले स्तरों पर हैं, इसलिए उपभोक्ता मामलों के विभाग के अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय टीम भंडारण सुविधाओं का जायजा लेने इन राज्यों में जाएगी। श्री पासवान ने कहा, ‘मेरा मानना है कि एफसीआई और राज्य एवं केंद्रीय भंडारण निगम के पास प्याज भंडारण की व्यवस्था नहीं है और हमारे पास देश भर में पर्याप्त सुविधाएं नहीं है, इसलिये खरीदारी में देरी हो रही है।Ó

प्याज की कीमत किसानों के लिये परेशानी बनी हुई है। शासन को लागत के आधार पर कीमत निर्धारण कर खरीद कर बफर स्टाक बनाना चाहिए। किसानों को इस समय केवल उतना ही बेचना चाहिए जितना पैसों के लिये जरूरत हो। यह खुशखबरी है कि विभाग 100 भंडार गृह बनवा रहा है। इनके बनने में समय लगेगा। किसानों को खुद कम लागत के भंडार गृह बनाने चाहिए। आशा है किसान भाई शांति के साथ समस्या का हल निकालेंगे। शासन से भी अपेक्षा है कि वे बफर स्टॉक के लिये किसानों से सीधे खरीद करेगी।
– डॅा. जी. एस. कौशल
पूर्व संचालक कृषि,म.प्र.