भूमिहीन किसानों को भी मिलेगा बैंकों से कृषि ऋण

भूमिहीन किसानों को भी मिलेगा बैंकों से कृषि ऋण

बटाईदारी और पट्टेदारी पर खेती करने वाले भूमिहीन किसानों को भी अब बैंकों और सहकारी समितियों से कृषि ऋण मिलने का रास्ता खुल जाएगा।

आगामी वित्त वर्ष के आम बजट में यह प्रावधान किया जाएगा। इसके लिए सभी जरूरी वैधानिक कदम उठाए जाएंगे। ऐसे किसानों को फिलहाल खेती के लिए सूदखोरों पर निर्भर रहना पड़ता है।

आम बजट में लैंड लाइसेंस्ड कल्टीवेटर एक्ट पारित कराने का प्रस्ताव है। खेती की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार आम बजट में कुछ पुख्ता प्रबंध करने की तैयारी में है।

ज्यादातर किसानों की सबसे बड़ी कठिनाई कृषि ऋण की होती है, जिसके लिए उन्हें सूदखार साहूकारों के रहमोकरम पर निर्भर रहना पड़ता है।

कृषि मंत्रालय के एक आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2016-17 में 46 फीसद किसानों को ही बैंकों व सहकारी समितियों से खेती के लिए ऋण मिल पाया था। इसमें भी प्रति किसान अल्पावधि यानी फसली ऋण 80 हजार रुपये था।

इसके मुताबिक ज्यादातर किसानों को सरकारी अथवा संस्थागत वित्तीय संस्थानों से खेती के लिए ऋण नहीं मिल पाता है। चालू वित्त वर्ष के लिए 10 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण का प्रावधान किया गया है।

पहली छमाही में ही इसमें से 6.25 लाख करोड़ रुपये के कर्ज किसानों में बांटे जा चुके हैं। इसके मद्देनजर माना जा रहा है कि आगामी आम बजट में कृषि ऋण के लिए 11 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया जा सकता है।

किसानों का एक बड़ा वर्ग बकाया भुगतान न करने की वजह से कृषि ऋण से वंचित हो रहा है। लेकिन ऋण न मिलने की इससे भी बड़ी वजह वे भूमिहीन किसान हैं, जिनके पास खुद की कोई खेतिहर जमीन तो नहीं है, लेकिन पट्टे व बटाई पर खेती करते हैं।

ऐसे किसानों के हित संरक्षण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। कृषि मंत्रालय ने इस आशय का प्रस्ताव तैयार कर वित्त मंत्रालय को सौंप दिया है।

उम्मीद है कि कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए सरकार इसके लिए विशेष प्रावधान करेगी। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सभी तरह के किसानों को उसकी जरूरत के हिसाब से कृषि ऋण मुहैया कराने के लिए कुछ कानूनी प्रावधान करने होंगे।

इसके बावत सभी श्रेणियों के ज्यादा किसानों को शामिल करने के लिए एक मॉडल कानून बनाने की सिफारिश की गई है। इस कानून को हर राज्य सरकार को पारित करना होगा, जिसके तहत भूमिहीन किसानों को भी बैंकों और वित्तीय संस्थानों से कृषि ऋण मिल सकेगा।

इसके लिए कुछ राज्यों में पहले से ही बटाईदार व पट्टेदार किसानों के लिए कानून में सुधार किया गया है। लेकिन ज्यादातर राज्यों में इस दिशा में बहुत कुछ करना बाकी है। आम बजट में किए जाने वाले प्रावधानों से कृषि क्षेत्र में परेशानहाल किसानों को बहुत सहूलियत मिल जाएगी।