सरकार की सख्ती और लोगों के समझाने के बाद भी किसानों नें जलाई पराली

स्वामीनाथन ने सुझाए पराली जलाने को रोकने के उपाय

पराली के जलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट और सरकार की धमकी को नजरअंदाज करते हुए किसान पराली को द्धह्ल्ले से जला रहे हैं I गेहूं एवं दलहन की कटाई के बाद खेतों में बचे फसल के अबशेष पर एक तरफ सरकार सख्त नियम बना रही हैं वही दूसरी ओर किसान उन नियमों को नजरअंदाज करते हुए पराली को जला रहे है I उत्तर प्रदेश ,पंजाब ,राजस्थान ,बिहार ,मध्य प्रदेश से लगातार पराली जलने की सूचनाये लगातार आ रही हैं Iइससे दिल्ली एनसीआर में दमघोंटू स्मॉग जैसी घटनाये भी बड रही हैं I  

 

बरेली जिले में कई स्थानों पर किसानों द्वारा परली जलाई गयी है I जिला प्रशासन द्वारा इसके लिए कोई ठोस कदम नही उठाये गए हैं I 

 प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने पराली जलाने की समस्या से निपटने के उपाए बताए। उन्होंने पराली के व्यवसायीकरण का सुझाव दिया

किसान हेल्प  के प्रमुख डॉ. आर.के.सिंह  ने कहा "कि धान की पुआल को पशु चारा, कार्डबोर्ड, कागज और अन्य उत्पादों के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। गेहूं एवं दलहन की पराली से जविक खाद और जानवरों का चारा बनाया जा सकता है I"

  उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में पुआल को पशु चारा बनाने की तकनीक विकसित की गई है। पुआल में यूरिया और शीरा मिलाने से पशु के लिए अच्छा आहार बनता है। इस संबंध में म्यांमार में किए गए शोध कार्य का उदाहरण दिया। देश में एक साल में 14 करोड़ टन पुआल और 28 करोड़ टन चावल के भूसे का उत्पादन होता है I

उन्होंने कहा " किसानों द्वारा पराली जलाने की परम्परा गलत ,खतरनाक और अशोभनीय हैI हमारी टीम और स्वम् मै अपने हर कार्यक्रम में किसानों से पराली न जलाने का आह्वान करते हैं I इस पर हमने एक किसानों को जागरूप करने के लिए  स्पेशल कार्यक्रम भी आयोजित किये हैं जिसमें हमारे प्रतिनिधि गाँव गाँव जाकर लोगो को जागरूप कर रहे हैं I कार्यक्रम का बड़ा लाभ मिला है परन्तु अभी भी हम हर जगह नही पहुच पाए हैं I इस संबंध में हम जल्द ही प्रधानमंत्री को विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे।"