ऊसरीली भूमि पर करें धान की खेती

ऊसरीली भूमि पर करें धान की खेती

खरीफ की फसलें क्षारीयता को सह लेती हैं। धान की फसल भी क्षारीयता के प्रति सहनशील होती है इसलिए ऊसरीली भूमि में दो-तीन वर्षों तक खरीफ में सिर्फ धान की फसल लेनी चाहिए। ऐसा करने से जैविक क्रिया के फलस्वरूप एक प्रकार का कार्बनिक अम्ल बनता है जो क्षारीयता को कम करता है। साथ ही भूमि में सोडियम तत्व का अवशोषण अधिक मात्रा में होने से भूमि में विनिमयशील सोडियम की मात्रा कम हो जाती है और भूमि की भौतिक तथा रायायनिक गुणवत्ता में धीरे-धीरे सुधार हो जाता है।तथा प्रत्येक खाद पर 2 से 3 किलो साडावीर अवश्य डालें।

भारत में प्रयोग होने वाले खेती के नाप

भारत में प्रयोग होने वाले खेती के नाप

 

  • भारत के अधिकांश भागो में खेतों के नाप के लिए गज, हाथ, गट्ठा, जरीब, बिस्‍सा,बिस्‍वॉनसी, उनवांनसी, कचवानसी, बीधा, किल्‍ला, एकड, हेक्‍टेअर, मरला, कनाल आदि मात्रकों का प्रयोग होता हैं। देखें उनसे सम्‍बधित जानकारी

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आधुनिक खेती से संवर रही किसान की किस्मत

आधुनिक खेती से संवर रही किसान की किस्मत

'उत्तम खेती, मध्यम वान, अधम चाकरी भीख सामान' यह लोकयुक्ति प्रखंड के किसान 'श्री' योजना से सम्मानित कृषक उमेश चंद्र पांडेय पर सटीक बैठती है। पारंपरिक तरीके या आधुनिक पद्धति से खेती में इस किसान को महारथ हासिल है। अपनी बेहतरीन खेती के तौर-तरीके से लोहा मनवा चुका यह किसान अन्य कृषकों के लिए मिसाल है। इनके द्वारा उपजाये गये धान के ग्यारह प्रजातियों के जीनों को परीक्षण के लिए अमेरिका के कृषि शोध प्रयोगशालाओं को भेजा जा चुका है। इन्हीं कुछ योगदानों के कारण राज्य सरकार द्वारा इन्हें प्रखंड किसान 'श्री' सम्मान योजना से नवाजा गया है।

किसानों को सतावर और तुलसी ने दी जिंदगी

किसानों को सतावर और तुलसी ने दी जिंदगी

 परंपरागत फसलांे में मिल रहे घाटे ने किसानों की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ दिया है। घाटे से परेशान किसान आलू और गेहूं की परंपरागत खेती को छोड़ औषधीय फसलों को अपना रहे हैं। कन्नौज के किसान अपनी दशा सुधारने के लिए आलू और गेहूं की जगह सतावर और तुलसी की खेती कर रहे हैं। 

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