निराई-गुड़ाई के लिए किसान रहे तैयार

निराई-गुड़ाई के लिए  किसान रहे तैयार

बदलते  मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को अपनी फसलों की तरफ  नियमित ध्यान देने की आवश्यकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मौसम में किसान अपनी फसलों व सब्जियों में निराई-गुड़ाई का कार्य जल्द करें तथा आवश्यकतानुसार नेत्रजन का छिड़काव करें।

पूसा के कृषि भौतिकी संभाग में नोडल अधिकारी डॉ. अनन्ता वशिष्ठ की सलाह है कि यदि फसलों और सब्जियों में सफेद मक्खी या चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दे तो इमिडाक्लोप्रिड दवाई 1.0 मि. ली. प्रति 3 लीटर पानी  में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।

मानसून की बेरुखी सूखे का खतरा

मानसून की बेरुखी सूखे का खतरा

 -भले ही मोदी सरकार अच्छे दिन का आश्वासन दे रही हो, लेकिन कमजोर मॉनसून से देश में सूखा पड़ने का खतरा पैदा हो गया है। इसका सीधा असर खाने-पीने की चीजों की कीमतों पर पड़ेगा। ध्यान रहे कि महंगाई की ऊंची दर के कारण आम जनता के साथ-साथ सरकार भी पहले से ही परेशान है।कमजोर मॉनसून ने आम लोगों, किसानों से लेकर सरकार तक सबकी नींद उड़ा रखी है। पिछले 5 सालों में पहली बार देश में सूखे का खतरा पैदा हो गया है। मौसम विभाग के मुताबिक, देशभर में अब तक सिर्फ 43 फीसदी कम बारिश हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक, कई राज्यों में सूखे की स्थिति पैदा हो चुकी है। मिट्टी में नमी कम हो चुकी है।

बदलते मौसम से किसान चिंतित

बदलते मौसम से किसान चिंतित

ग्रीष्मकाल में तेजी से बदल रहे मौसम के मिजाज से किसान परेशान हैं। खराब मौसम को देखते हुए किसान जहां तेजी से रबी धान फसल समेटने में व्यस्त हैं। वहीं एक फसल लेने वाले किसान पिछले दिनों हुई बारिश से खेतों की सफाई कर अकरस जोताई कर रहे हैं। दोपहरी में जहां खुले में चलना कठिन होता है वहां इन दिनों बादल छाए हुए हैं। शाम होते ही अंधड़ के साथ बारिश हो रही है। लिहाजा मौसम की तब्दीली से पानी से साधन संपन्न किसानों में चिंता है, वहीं बारिश पर निर्भर रहते हुए किसानी करने वाले लोगों में समय पूर्व खेत तैयार होने की खुशी है।

खलिहान में नहीं रख पा रहे धान

औषधीय खेती यानी मुनाफ़े ही मुनाफ़ा

औषधीय खेती यानी  मुनाफ़े ही मुनाफ़ा

 खेती को फायदे का व्यवसाय बनाने के लिए किसान खेती के तरीके में बदलाव कर रहे हैं। धान-गेहूं की जगह कम लागत में तैयार होने वाली औषधीय फसलों पर जोर दे रहे हैं। सीतापुर, बाराबंकी औैर राजधानी के आस-पास के जिलों के किसान मेंथा, भूमि आंवला, आर्टीमीशिया एनुआ, सतावर जैसी औषधीय फसलें उगा रहे हैं।

Pages