'ताइवान रेड लेडी पपीता लाभकारी

taiban papaya

'ताइवान रेड लेडी' अब राज्य के किसी भी खेत में देखी जा सकती है । ताइवान रेड लेडी पपीता की सबसे अच्छी किस्म है । राज्य में फलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए इस प्रजाति को बढ़ावा दिया जा रहा है ।

 

 

इस किस्म को किसान कृषि विभाग की नर्सरी या अन्य चुनिंदा नर्सरी से प्राप्त कर सकते है । यह सभी तरह की मिट्टी के लिए उपयुक्त है । इस किस्म के पौधे किसानों को अनुदानित दर यानी 8.25 रुपये प्रति पौधे की दर पर मिलेंगे । इस ताइवानी पपीते प्रजाति के पौधे की गुणवत्ता तय करने की जिम्मेवारी उद्यान सहायक निदेशक की होगी ।

कम समय में अच्छी पैदावार देती है पपीते की खेती

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बाजारों में मिलने वाला पपीता जहा अल्पावधि में अधिक पैदावार देने वाला होता है, वहीं अति स्वास्थ्यवर्धक भी है। खेतों में इसकी खेती के साथ अन्य फसल की खेती भी की जा सकती है। इसकी खेती सघन व अंतराशस्य फसल के रूप में की जा सकती है। गृह वाटिका के लिए पपीता प्रमुख फल है।

लाभकारी हैं पपीते की खेती

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प्रगतिशील किसानों के लिए नकद फसल के रूप में पपीते की खेती लाभकारी एवं काफी मुनाफे वाली है। खेत में पपीते के फसल के साथ समेकित खेती के रुप में साथ-साथ हल्दी-बैगन की खेती कर किसान अधिक मुनाफा कमा कर आर्थिक संपन्नता पा सकते हैं। एक हेक्टेयर में पपीते की फसल लगाकर किसान थोड़ी मेहनत कर दस लाख तक का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं। उक्त बातें क्षेत्र के रानी-3 के प्रगतिशील कृषक विनोद राय के दो एकड़ खेत में पपीते की लहलहाती फसल के निरीक्षण के दौरान शुक्रवार को कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर के उप कुलपति आर.के.

चक्रव्यूह में किसान

चक्रव्यूह में किसान

यह देश वीर जवानों और मेहनतकश किसानों का है। सिर्फ एक मुहावरा भर नहीं है, आबादी का 65.7 फीसद हिस्सा खेती-किसानी से परोक्ष या प्रत्यक्ष जुड़ा हुआ है। इन्हीं किसान परिवारों के बांके जवान फौज में जाते हैं। यानी एक तरफ वे देश का पेट भरते हैं तो दूसरी तरफ दुश्मनों से देश की रक्षा करते हैं। पर इन किसानों पर कहर टूटे, तो कौन सुने? इनका पेट कौन भरे और इन्हें उस वक्त मरने से कौन बचाए, जब ये अपनी तबाह फसल देखकर सदमे से या फिर भारी कर्ज का बोझ लिये आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं। 

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