kisan

कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से सम्बंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है जो लोग कृषि के कार्य को करके अपनी जीविका उपार्जन करते है उन्हें किसान कहते है 
किसानो को निम्न बिन्दुओ से भी जाना जा सकता है 

1. जो फसलें उगाते हैं।

2. कृषक (farmer)

3. खेतिहर – खेती करने वाला।

4. जो खेत और फसल में अपना योगदान देते हैं।

5. जिनके पास स्वयं के खेत है और दूसरे कामगारों से काम करवाते हैं, किसान हैं।

6. किसान खेतों में पसीना बहाकर अन्न उपजाते हैं

सैटेलाइट से होगी देश में कृषि भूमि की मैपिंग

सैटेलाइट से  होगी देश में कृषि भूमि की मैपिंग

सैटेलाइट से  होगी देश मेंकृषि भूमि की मैपिंग 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मृदा (मिट्टी) स्वास्थ्य परीक्षण की योजना छत्तीसगढ़ में मूर्त रुप ले रही है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने देश में पहली बार 'डिवेलपमेंट ऑफ केडेस्ट्रल लेवल लैंड यूज प्लान फॉर छत्तीसगढ़ स्टेट' के तहत अमेरिकन सेटेलाइट के 'एडवांस डिजिटिंग ग्लोब' से कृषि भूमि की मैपिंग कराई है। विश्वविद्यालय का दावा है कि देश में पहली बार छत्तीसगढ़ में मृदा स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है।

रेल बजट खत्म, अब शुरू होगा कृषि बजट!

रेल बजट खत्म, अब शुरू होगा कृषि बजट!

रेल बजट अलग से पेश करने की शुरुआत अंग्रेजों ने की थी। 1855 में भारत में रेल शुरू हुई। फिर इसका लगातार विस्तार हुआ। 1920 के दशक के बाद से ऐकवर्थ कमेटी ने भारत में रेलवे के विस्तार के लिए अलग रेल बजट प्रस्तुत करने की सिफारिश की थी ताकि भारत की जरूरतों को देखते हुए रेलवे अपने विस्तार की योजना खुद बनाए और अपने लिए संसाधन भी जुटाए। 1924 में इस पर अमल शुरू हुआ तब से यह परंपरा चली आ रही है जो अब तक बदस्तूर जारी है जिस पर शायद अब ब्रेक लग जाए।नीति आयोग की सिफारिश को अगर मान लिया गया तो 92 साल से चली आ रही परंपरा खत्म हो जाएगी। रेलवे की सेहत सुधारने के लिए लगातार कोशिश हो रही है। रेलवे देश की अर्थव्

छत्तीसगढ़ की 40 तहसीलों में सूखे के हालात

छत्तीसगढ़ की 40 तहसीलों में सूखे के हालात

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में सूखे की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार को पहली रिपोर्ट भेज दी है। रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई है कि छत्तीसगढ़ के छह जिलों सहित 40 तहसीलों में सूखे के हालात बन रहे हैं। इन तहसीलों में औसत से कम बारिश होने के कारण खरीफ फसल चौपट होने के कगार पर है। धान की बियासी का कार्य भी प्रभावित हो रहा है। समय पर राहत कार्य नहीं खोले गए तो राज्य से खेतिहर मजदूरों का अन्य राज्यों में पलायन हो सकता है।

अच्छे मानसून के बावजूद देश के एक तिहाई हिस्सों में कम बारिश

अच्छे मानसून के बावजूद देश के एक तिहाई हिस्सों में कम बारिश

लगातार दो सूखों के बाद देश में इस साल जाकर सामन्य वर्षा हुई है। हालांकि, सामान्य वर्षा के बाद भी देश का एक तिहाई भाग कम या अल्प वर्षा का सामना कर रहा है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार जून से सितम्बर चलने वाले चार महीने के दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान अगस्त 2016 तक तीन महीनों में देश के 200 से ज्यादा ज़िलों में कम या बहुत कम बारिश हुई।

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