Aksh's blog
कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए महिलाओं की सहभागिता जरूरी
Submitted by Aksh on 10 April, 2016 - 09:36कृषि में महिलाओं का योगदान काफी अहम है। कृषि क्षेत्र में कुल श्रम की 60 से 80 फीसदी तक हिस्सेदारी महिलाओं की होती है। फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन (एफएओ) के एक अध्ययन से पता चला है कि हिमालय क्षेत्र में प्रति हैक्टेयर प्रति वर्ष एक पुरुष औसतन 1212 घंटे और एक महिला औसतन 3485 घंटे कार्य करती है। इस आंकड़े के माध्यम से ही कृषि में महिलाओं के अहम् योगदान को आंका जा सकता है। महिलाओं की कृषि में यह सहभागिता क्षेत्र विशेष की खेती पर निर्भर करती है फिर भी उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। कृषि कार्यों के साथ ही महिलाएं मछली पालन, कृषि वानिकी और पशु पालन में भी योगदान दे रही हैं।
सूखा राहत में स्वराज की मांग
Submitted by Aksh on 3 April, 2016 - 07:48यह बात कई बार दोहराई जा चुकी है कि बाढ़ और सुखाङ अब असामान्य नहीं, सामान्य क्रम है. बादल, कभी भी-कहीं भी बरसने से इंकार कर सकते हैं. बादल, कम समय में ढे़र सारा बरसकर कभी किसी इलाके को डुबो भी सकते हैं. वे चाहें, तो रिमझिम फुवारों से आपको बाहर-भीतर सब तरफ तर भी कर सकते हैं; उनकी मर्जी. जब इंसान अपनी मर्जी का मािलक हो चला है, तो बादल तो हमेशा से ही आजाद और आवारा कहे जाते हैं. वे तो इसके लिए स्वतंत्र हैं हीं. भारत सरकार के वर्तमान केन्द्रीय कृषि मंत्री ने जलवायु परिवर्तन के कारण भारतीय खेती पर आसन्न, इस नई तरह के खतरे को लेकर हाल ही में चिंता व्यक्त की है.
बाजार पर निर्भरता ख़त्म होने पर ही किसानों विकास
Submitted by Aksh on 20 March, 2016 - 08:25विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र देश के सबसे मजबूत स्तम्भ किसानों के लिए यह बजट लाभकारी हो सकता है देश में किसानो का विकास अगर हो पाया तभी देश का समुचित विकास हो पायेगा इस बात को ध्यान में रखते हुए हमारी वर्तमान सरकार नें जो भी बजट बनाया है वह स्वागत के योग्य है माननीय प्रधानमंत्री जी नें देश में किसानों के लिए कुछ किया है परंतु वह अधूरा है