Aksh's blog

देश में अन्नदाता का कोई दर्जा है क्या ?

देश में अन्नदाता का कोई दर्जा है क्या

देश में नेता हो या अभिनेता या फिर कोई लेखक सभी के सभी आतंकवाद, प्रदूषण, धार्मिक उन्माद, सामाजिक अंतद्र्वंद और महंगाई जैसी समस्याओं के पीछे अपना ध्यान लगाये बैठे है जो बोलते है या लिखते है उन सभी का विषय in के अतिरिक्त कुछ भी नही होता अभी ताजा हाल सभी को पता है असहिष्णुता के पीछे काफी बहस बनी रही काफी दिनों तक यह मुद्दा चर्चा का विषय भी बना रहा लेकिन इन सभी मुद्दों के मध्य कृषि प्रधान देश में कृषि की समस्याओं का मुद्दा हमेशा गौण रह जाता हैं इस विषय पर कोई बात नही करता नही । नेता जी तो अपने भाषण में केवल चुनावी मुद्दों के लिए ही कृषि और किसान की बात करते हैं उसके बाद अपनी पुस्तक में से वह नाम

क्या है मृदा स्वास्थ्य कार्ड?

क्या है मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड

कृषि और इससे संबंधित गतिविधियां भारत में कुल सकल घरेलू उत्‍पाद में 30 फीसदी का योगदान करती है। कृषि सीधे तौर पर मिट्टी से जुड़ी है। किसानों की उन्नति निर्भर करती है मिट्टी पर मिट्टी स्वस्थ्य तो किसान स्वस्थ्य। इसी सोच के आधार पर बना है ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड'। इसमें निजी खेतों के लिए आवश्‍यक पोषकों और उर्वरकों के लिए फसल के अनुसार सलाह दी जाती है। मृदा स्‍वास्‍थ्‍य स्‍थिति के बारे में जागरूकता और खाद की भूमिका से पूर्वी भारत में भी अधिक खाद्यान उत्‍पादन में सहायता के साथ-साथ मध्‍य प्रायद्वीपीय भारत में उत्‍पादन में हो रही गिरावट को दूर करने में भी मदद मिलेगी। पूर्वी भारत में अनाज, चावल और गे

क्या किसान इसी देश का नागरिक है ?

क्या किसान इसी देश का नागरिक है ?

हरित क्रांति के बाद देश में खाद्यान  की उपज बड़ी हमने चहुमुखी विकास किया देश में औद्योगिकी करण तेजी से हुआ प्रति व्यक्ति आय बढ़ी लोगो के जीवन स्तर में सुधार हुआ आज गाँव गाँव में बिजली पहुची शिक्षा के क्षेत्र में भी देश ने तरक्की की हम आज तेजी से विकास कर रहे है दुनिया में अपनी पहचान बनाई ख़ुशी की बात है हम पैदल से मैट्रो ट्रेन तक पहुचे, देश नें कंप्यूटर क्रांति में विकास किया सबकुछ  ख़ुशी की बात है लेकिन .............................

रासायनिक कृषि विनाश का नया आगाज

रासायनिक कृषि विनाश का नया आगाज

रासायनिक कृषि क्या है रासायनिक कृषि का प्रचलन कैसे हुआ 

 रासायनिक उर्वरक क्या हैं उनसे क्या लाभ हैं? क्या हानियाँ है ? इन सबको समझने के लिए इसके इतिहास को हमको जानना पड़ेगा

फ़्रांस के कृषि वैज्ञानिकों ने पता लगाया की पौधों के विकास के लिए मात्र तीन तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटास की अधिक आवश्यकता होती है अत: उनके अनुसार ये तीन तत्व पौधों को दी हैं तो पौधों का अच्छा विकास एवं अच्छी उपज प्राप्त हो सकती है १८४० में जर्मन वैज्ञानिक लिबिक ने इन तीनों के रासायनिक संगठक एन पी के खाद बनाकर फसलों की बढ़वार के लिए इस रसायन को भूमि पर डालने के लिए प्रोत्साहित किया

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