लघु वित्त
लघु वित्त क्या है?
लघु वित्त का मतलब होता है बहुत गरीब लोगों को उनके लघु उद्योग या किसी अन्य उपयोगी काम के लिए छोटा ऋण (लघु ऋण) उपलब्ध करवाना है। काफी समय से, हमने महसूस किया है कि गरीब और अतिगरीब लोग पारंपरिक औपचारिक वित्तीय संस्थानों तक आसानी से अपनी पहुंच नहीं बना पाते और उन्हें वित्तीय उत्पादों में विविधता की आवश्यकता होती है, इसलिए लघु वित्त के अंतर्गत काफी सुविधाएं (क्रेडिट, सेविंग्स, बीमा आदि) शामिल की गई हैं।
1980 के दशक से ही लघु ऋण मुख्य रूप से सबके सामने आया है, हालांकि बांग्लादेश, ब्राजील और कुछ अन्य देशों में लगभग 30 साल पहले इस पर प्रयोग किए जा चुके हैं। उस समय के माइक्रोक्रेडिट में महत्वपूर्ण अंतर यह था कि इसमें पुन: भुगतान करने हेतु जोर डाल कर, क्रेडिट डिलीवरी का मूल्य कवर कर सकने वाली ब्याज दर लगा कर ऐसे उपभोक्ता वर्गों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिनके क्रेडिट का वैकल्पिक स्रोत अनौपचारिक क्षेत्र था और इसने लक्षित विकास ऋण की पिछली पीढ़ी की परेशानियों को नजरअंदाज किया।
रियायती ऋण के तीव्र वितरण से ध्यान हटा कर लक्षित क्षेत्रों की ओर किया गया ताकि स्थानीय स्तर पर ऐसे टिकाऊ संस्थानों को खड़ा किया जा सके जो गरीबों की सेवा कर सकें। लघु ऋण का क्षेत्र मोटे तौर पर निजी (अलाभकारी) क्षेत्र के हाथों में रहा है जिसे राजनीतिक बनने से रोकने के काफी प्रयास किए गए, नतीजतन विकास के हर क्षेत्र में ऋण के तमाम स्वरूपों को उसने कामयाबी में पीछे छोड़ दिया है।
पारंपरिक रूप से लघु वित्त मानकीकृत ऋण उत्पाद उपलब्ध करवाने पर ध्यान केंद्रित करता था। किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह गरीब को भी विविध प्रकार की वित्तीय सुविधाओं की आवश्यकता होती है, जिससे वह अपनी संपत्ति बना सके, गुजारा कर सके और स्वयं को खतरों से बचा सके। इस प्रकार हम लघु वित्त की अवधारणा के विस्तार को देखते हैं- हमारा ध्येय है कि हम लघु वित्त उत्पादों को उपलब्ध करवाने के बेहतर और विश्वसनीय तरीके खोजें।
लघु ऋण क्या है?
सामान्यतः लघु ऋण का अर्थ है ग्रामीण क्षेत्रों, अर्ध-शहरी व शहरी इलाकों के गरीबों को उनकी आय और जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए काफी छोटी मात्रा में उपलब्ध करवाए जाने वाले बचत, ऋण तथा अन्य वित्तीय सेवाएं तथा उत्पाद ।
लघु ऋण प्राप्त करने के नियम और शर्तें क्या हैं?
बैंकों को निम्न बातों को ध्यान में रखते हुए ऋण देने की स्वतंत्रता दी गई है। उन्हें कहा गया है कि वे पर्याप्त ऋण व बचत उत्पाद, ऋण, यूनिट लागत, यूनिट साइज, मैच्योरिटी अवधि, अतिरिक्त अवधि, मुनाफा आदि संबंधित नियम व शर्तें उपलब्ध करवाएं। ऐसे ऋण गरीबों के न सिर्फ खपत और उत्पादन ऋणों को कवर करते हैं, बल्कि उनके आवास और आश्रय में सुधार के लिए भी ऋण सुविधा उपलब्ध करवाते हैं।
लघु वित्त और लघु ऋण में क्या अंतर है?
लघु वित्त ऐसे ऋण, बचत, बीमा, ट्रांसफर सेवाओं और अन्य फाइनेंशियल उत्पादों के लिए प्रयोग होता है जो कम आय वाले लोगों के लिए होते हैं। लघु ऋण ऐसे छोटे ऋणों को कहा जाता है जो बैंक या अन्य संस्थान द्वारा दिए जाते हैं। लघु ऋण बिना किसी रेहन के यानी कोई चीज गिरवी रखे बगैर किसी व्यक्ति या समूह को दिया जा सकता है।
लघु वित्त के ग्राहक कौन हैं?
लघु वित्त के ग्राहक अधिकतर वे लोग हैं जिनकी आय कम है और जो औपचारिक वित्तीय संस्थानों तक पहुंच नहीं बना पाते। आम तौर पर लघु वित्त के ग्राहकों का खुद का रोजगार होता है या वे घरेलू उद्योगों में काम करते हैं। ग्रामीण इलाकों में वे अक्सर छोटे किसान होते हैं और जो कम आय वाले काम करते हैं, जैसे खाद्य प्रसंस्करण और खुदरा व्यापार। शहरी इलाकों में, लघु वित्त गतिविधियां अधिक विस्तृत हैं। वहां दुकानदार, सेवाएं उपलब्ध करवाने वाले, शिल्पकार, पटरी पर सामान बेचने वाले भी लघु वित्त के ग्राहक होते हैं। लघु वित्त ग्राहक गरीब और आर्थिक रूप से संपन्न ऐसे लोग हैं जो गरीब नहीं हैं, जिनके पास आय का कोई स्थायी साधन नहीं है।
पारंपरिक औपचारिक वित्तीय संस्थानों तक पहुंच कई कारणों से सीधे रूप से आय से संबंधित है: आप जितने गरीब हों, उस तक पहुंच होने की संभावना उतनी कम होगी। दूसरी ओर, इस बात की संभावना है कि आप जितने गरीब हों, अनौपचारिक वित्तीय व्यवस्था उतनी ही अधिक महंगी और एकरूप हो जाती है। इसके अलावा, ऐसा भी हो सकता है कि अनौपचारिक व्यवस्थाएं कुछ विशेष वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयुक्त न हों। मुख्यधारा से बाहर के और बाजार से वंचित व्यक्ति ही लघु वित्त के ग्राहक हैं।
जैसे-जैसे हमने लघु वित्त में शामिल सेवाओं की किस्मों को बढा़या है, लघु वित्त के ग्राहकों के संभावित बाजार में भी बढ़ोतरी हुई है। उदाहरण के लिए, वित्तीय सेवाओं के विविध रेंज, जिसमें बचत उत्पादों, भुगतान और धन भेजने की सेवाएं और विभिन्न प्रकार के बीमा उत्पाद शामिल हैं, उनकी तुलना में लघु ऋण का बाजार काफी अधिक सीमित हो सकता है। उदाहरण के लिए, कई गरीब किसान, हो सकता है कि उधार लेने के इच्छुक न हों, लेकिन उसके स्थान पर एक ऐसे सुरक्षित स्थान की तलाश में हों जहां पर वे अपनी फसल से आने वाली आय को रख सकें क्योंकि वे दैनिक रूप से अगले कई महीनों तक इनका प्रयोग करते हैं।
लघु वित्त गरीबों की मदद कैसे करता है?
अनुभव बताता है कि लघु वित्त गरीबों की अार्थिक स्थिति सुधारने, अपने उद्योग को सुधारने और बाहरी समस्याओं से बचने में मदद करता है। यह गरीबों, खास तौर से महिलाओं की सहायता कर स्वरोजगार के लिए भी महत्वपूर्ण उपकरण साबित हो सकता है।
गरीबी बहुआयामी होती है। वित्तीय सेवाओं तक पहुंच आसान बनाकर लघु वित्त गरीबी के कई आयामों से लड़ने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, उद्योग से आने वाली आय से सिर्फ उद्योग को ही फायदा नहीं होता, बल्कि परिवार की आय में भी बढ़ोतरी होती है और परिवार की आय बढ़ने से खाद्य सुरक्षा, बच्चों की पढा़ई आदि में सुधार होता है। इसके अलावा, सामाजिक रूप से अकेली महिलाएं जब औपचारिक संस्थानों के साथ कार्य करती हैं, तो उनका भी आत्मविश्वास बढ़ता है और उनका सशक्तिकरण होता है।
हाल ही के शोधों से पता चला है कि जो व्यक्ति गरीब होते हैं, उन्हें कमाने वाले व्यक्ति की बीमारी, मौसम, चोरी या कुछ ऐसी ही समस्याएं आसानी से घेर सकती हैं। ऐसी समस्याओं से परिवार की सीमित आय पर काफी अधिक भार पड़ता है और धन की कमी से परिवार अधिक गरीबी से घिर सकता है जिससे उबरने के लिए उन्हें सालों लग सकते हैं।