गेहूं की फसल पर पीले रतुआ का हमला
गेहूं की फसल पर पीले रतुआ ने हमला बोल दिया है। किसानों की फसल को पीले रतुआ ने चपेट में लिया है। जिससे किसानों की चिंता बढ़ी हुई है। कृषि विभाग में बीमारी आने से हड़कंप मचा हुआ है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक अभी मौसम में नमी रहेंगी। जिससे बीमारी बढ़ने की संभावना रहती है।
गतवर्षभी आई थी बीमारी : विभागके मुताबिक गत वर्ष 300 हेक्टेयर फसल में और 2013-14 14 हजार हेक्टेयर में पीला रतुआ की बीमारी फैली थी।
ये है वजह बीमारी की
वातावरणमें लो टेंपरेचर हाई हम्यूडिटी (उच्च नमी) होने से पीला रतुआ फैलने की अधिक संभावना रहती है। धुंध अधिक होने से वातावरण में अधिक नमी सुबह और शाम के समय अधिक ठंड होने से किसानों के लिए आफत बन गया है। यह वातावरण गेहूं की फसल के लिए हानिकारक है। यदि बारिश के बाद समय पर धूप निकली तो गेहूं की फसल उत्पादन में इस बार कटौती हो सकती है।
ऐसे करें बीमारी की पहचान
सफेदरूमाल को गेहूं के पौधों पर घुमाएं। रूमाल का रंग पीला होने शुरु जाए तो ये रतुआ के लक्षण है। रतुआ होने के बाद गेहूं के पौधों की पत्तियों में पीले रंग का बारीक पाउडर एकत्र होने शुरू हो जाता है।
यह भी कर सकते हैं किसान
पीलारतुआ से बचाव के लिए किसान देशी तरीका भी अपना सकते हैं। इसमें एक किलोग्राम तंबाकू की पत्तियों का पाउडर 20 किलोग्राम लकड़ी की छिड़काव कर सकते हैं। लेकिन यह बीज बुआई से पहले करना होगा। गोमूत्र 10 लीटर नीम की पट्टी 2.5 किलो लहसुन 250 ग्राम काढ़ा बना कर 80 से 90 लीटर पानी के साथ प्रति एकड़ छिड़काव करें। इससे पीला रतुआ खत्म हो जाएगा। इसके अलावा पांच लीटर मट्ठा को मिट्टी के घड़े में भरकर सात दिनों तक मिट्टी में दबाने के बाद 40 मीटर पानी में एक लीटर मट्ठा मिलाकर स्प्रे करें।
येकरना चाहिए किसानों को
डीडीएने बताया कि प्रभावित फसल में प्रोपीकोना जोल (टीआईएलटी) नामक दवाई का स्प्रे करवा दिया है। यह बीमारी नमी में ज्यादा फैलती है। इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते हुए किसानों को तुरंत स्प्रे 200 लीटर पानी में 200 एमएल दवाई घोलकर फसल पर स्प्रे करना चाहिए। करनाल के बाद प्रदेश में यमुनानगर में दूसरी जगह इस बीमारी के लक्षण मिले है। जरूरत से अधिक सिंचाई से बचना चाहिए।