तराई के लिए भी अब इतिहास बनी पाकिस्तानी बासमती

पाकिस्तानी बासमती

पाकिस्तानी बासमती भारत की लम्बे चावल की एक उत्कृष्ट किस्म है। यह अपने खास स्वाद और मोहक खुशबू के लिये प्रसिद्ध है। इसका नाम बासमती अर्थात खुशबू वाली किस्म होता है। इसका दूसरा अर्थ कोमल या मुलायम चावल भी होता है। भारत इस किस्म का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसके बाद पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश आते हैं।पारंपरिक बासमती पौधे लम्बे और पतले होते हैं।  यह अन्तर्राष्ट्रीय और भारतीय दोनों ही बाजारों में ऊँचे दामों पर बिकता है।

उत्तर प्रदेश में यह सबसे ज्यादा रोहिलखंड एवं तराई क्षेत्र में किया जाता था तराई क्षेत्र में बरेली एवं पीलीभीत जिला इसके सबसे बड़े उत्त्पदक क्षेत्र थे परन्तु बढ़ती लागत व गिरती पैदावार के चलते बरेली और पीलीभीत की तराई से अब पाकिस्तानी बासमती की खुशबू खत्म हो चुकी है । इसकी पैदावार की मुश्किलें और बाजार की खराब हालत से किसानों का इससे मोहभंग हो गया। किसानों ने इसकी पैदावार ही बंद कर दूसरे किस्म के धान लगाने लगे हैं। अब केवल गिने चुने शौक़ीन लोग ही करते है वो भी अपने निजी प्रयोग के लिए 
खुशबूदार किस्म है पाकिस्तानी बासमती
यूं तो तराई क्षेत्र में सुगंधा, रेशम, टाटा, सरबती समेत कई किस्म के धान होते हैं, जो पाकिस्तानी बासमती जैसे ही हैं। पाकिस्तानी बासमती की सुगंध की बात ही कुछ अलग है। इसको पकाने-खाने वाले लोग बताते हैं कि अगर एक घर में चावल बनता है तो महक चार घरों तक जाती है। इसके चलते यह लोगों के बीच खूब लोकप्रिय है। शादी-बरात या किसी अन्य आयोजन में इसकी खासी मांग रहती है। साथ ही इसका निर्यात भी खूब किया जाता है।

खरीदारों ने मोड़ा मुंह

रुहेलखंड में बासमती धान की दो बड़ी मंडी हैं, जो भमोरा ब्लॉक के देवचरा जो इफ्को आवंला के पास में है और दूसरी भोजीपुरा ब्लॉक के बहपुरा में लगती है जो बरेली - नैनीताल  नेशनल हाइवे पर है । यहां उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरांचल, मध्य प्रदेश के राइस मिलर धान की खरीदारी के लिए आते है ।

मगर बाद में इन बाजारों में बिचौलिए सक्रिय हुए और भाव को लेकर खेल शुरू हो गया, जिससे बाहरी खरीदारों का बाजारों में आना कम हुआ। किसानों पर लागत का बोझ बढ़ रहा था और भाव गिरने लगे। इसका असर किसानों पर पड़ा और पाकिस्तानी बासमती से मोहभंग होने लगा। हालात ये है कि अब पहले के मुकाबले बाजारों में बमुश्किल 40 फीसदी पाकिस्तानी बासमती ही पहुंच रही है।

पाकिस्तानी बासमती धान एक खुशबू दार धान की किस्म है यह निश्चित ही थाली की शोभा बढ़ाता है परन्तु इस समय बाजार में बहुत सी सुगन्धित किस्मों के आने से इस पर फर्क पड़ा है दूसरी किस्मों की उपज पाकिस्तानी बासमती धान से अधिक है और दूसरी बात बाजार में बिचोलिये ने अपना कब्ज़ा कर लिया है सरकार ने उस ओर कोई ठोस कदम भी नहीं उठायें है जिसके चलते हर किसान अब पाकिस्तानी बासमती से मुंह मोड़ रहा है मैंने भी इसका रकवा काफी कम कर दिया है सिर्फ अपने प्रयोग के लिए ही उत्तपादन किया है।  डॉ. आर.के.सिंह   किसान हेल्प लाइन के संरक्षक 

पाकिस्तानी बासमती धान का रकबा पहले की अपेक्षा कम हुआ है, लेकिन कुछ अन्य महीन धान का रकबा बढ़ा है।  डॉ. अशोक कुमार, उप निदेशक (कृषि रक्षा)