दूसरी कृषि क्रांति बिना देरी के होनी चाहिए : पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को झारखंड के हजारीबाग में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की नींव रखी। इस मौके पर उन्होंने कहा, कृषि के विकास से किसान की जेब भरेगी। पीएम ने कहा, हमारे देश ने प्रथम कृषि-क्रांति देखी है, अब समय की मांग है कि देश में दूसरी कृषि क्रांति बिना विलंब होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, आज झारखंड और दक्षिण बिहार के लोग इस सभा में आए हैं। पीएम ने कहा, पूर्वी भारत में दूसरी कृषि क्रांति की संभावना है। खेती को आधुनिक बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, बढ़ती जनसंख्या का कारण जमीन घट रही है और छोटे-छोटे टुकड़ों पर खेती हो रही है।
प्रधानमंत्री ने कृषि उत्पादन बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि हम किसानों के जीवन में बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहा, कृषि के क्षेत्र में भारत दुनिया से बहुत पीछे है और किसानों को फसलों का सही दाम मिले यह भी जरूरी है।
पीएम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, हमारी सरकार ने खाद के बंद कारखाने खोले, नए भी जल्द शुरू होंगे। खाद के कारखाने खुलने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेंगे।
हजारीबाग के बरही में पीएम मोदी के संबोधन के मुख्य अंश...
सरकार की कोशिश गरीब की थाली में पौष्टिक भोजन पहुंचाने की है।
अगर किसान को समय से पानी मिल जाए तो वह मिट्टी से सोना उगा सकता है।
प्रधानमंत्री किसान सिंचाई योजना से किसानों को लाभ मिलेगा।
हम किसानों को आधुनिक युग में ले जाना चाहते हैं।
उत्पादन बढ़ेगा तो गरीब से गरीब आदमी को भी दाल मिलेगी।
मैं देश के किसानों से आग्रह करता हूं कि वह अपनी भूमि के एक हिस्से में दलहन की खेती करें।
हमने अन्न के भंडार तो भर दिए, लेकिन देश के लोगों को दलहन की कमी महसूस होती है।
गड्ढ़ा खोदकर उसमें कचरा डालना है, केंचुआ पालन करने से खाद अपने-आप बनेगी। इस तरह बनी खाद जमीन के लिए बहुत उपजाऊ है।
बिहार में मतस्य उद्योग चिंताजनक स्थिति में है।
केंद्र किसानों की हरसंभव मदद करेगा।
हमारे पास पशु ज्यादा, लेकिन दुग्ध उत्पादन कम है।
हमारी सरकार ने डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने का निर्णय किया है।
पशुपालन के क्षेत्र में जितना खर्च होता है, उससे ज्यादा किसान को मिलना चाहिए।
सरकार ने स्वाइल हेल्थ कार्ड की योजना शुरू की।
जैसा शरीर का स्वभाव है, वैसी ही धरती माता का भी स्वभाव है।
खाद कारखाना लगेगा तो युवाओं को रोजगार मिलेगा।
हमारी सरकार ने निर्णय किया है कि चाहे खरबों खर्च हो कारखाने लगेंगे। लोगों को लाभ मिलेगा।
सरकार ने अपना पूरा ध्यान इस क्षेत्र के विकास के लिए केंद्रित किया है।
कृषि क्रांति की संभावना कहीं है तो यह पूर्वी यूपी, बिहार, झारखंड असम, पश्चिम बंगाल में है।
देश की मांग है कि दूसरी कृषि क्रांति बिना विलंब के होनी चाहिए।
कृषि के क्षेत्र में रिसर्च समय की मांग है।
कृषि के विकास से किसान की जेब भरेगी।
उत्पादन नहीं बढ़ेगा तो पेट नहीं भरेगा।
जनसंख्या बढ़ने से घट रही है जमीन।
जमीन छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गई है।
कृषि अनुसंधान का लाभ बिहार को भी मिलेगा।
उत्पादन कैसे बढ़े यह चिंता का विषय है।
बीज से लेकर सिंचाई, पशुपालन तक हर जगह हम दुनिया से पीछे हैं।
यह आलम तब है, जब भारत कृषि प्रधान देश है।
सारा विश्व कृषि के क्षेत्र में जो प्रगति कर चुका है, भारत आज भी उससे बहुत पीछे है।
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